ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। महाराष्ट्र में चुनावी गतिविधियां जोर पकड़ चुकी हैं। प्रमुख दलों ने प्रत्याशियों की घोषणा भी शुरू कर दी है। शिवसेना ने 45, एनसीपी ने 38 व शिवसेना (यूटीबी) ने 65 उम्मीदवारों की घोषणा करके अपना दमखम दिखाने की तैयारी शुरू कर दी है। विपक्षी गठबंधन के तीनों सहयोगी 85-85 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
– विपक्ष के संविधान बदलने वाले नैरेटिव की काट पर हो रही गंभीर तैयारी
तमाम सियासी तैयारियों और चर्चाओं के बीच ‘घर-घर संविधान’ अभियान के माध्यम से भाजपा चाहती है कि विपक्ष के संविधान बदलने वाले नैरेटिव की काट की जा सके। विपक्ष के इस नैरेटिव का सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र और यूपी जैसे बड़े राज्यों में ही हुआ था। अब इसकी काट के लिए पूरा अभियान चलाया जाएगा।
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कांग्रेस, सपा, आरजेडी और शरद पवार की एनसीपी जैसी पार्टियों ने प्रचार किया था कि एनडीए इसलिए 400 सीटें मांग रहा है ताकि संविधान बदल सके। इसके अलावा आरक्षण को खत्म किया जा सके। इस प्रचार ने असर भी दिखाया और माना जाता है कि इसी के चलते भाजपा 240 सीटों पर ही ठहर गई और एनडीए दलों के समर्थन से ही सरकार बन सकी। अब महाराष्ट्र में इसी दांव को भाजपा पलटने की तैयारी में है।
चंडीगढ़ मीटिंग
चंडीगढ़ में भाजपा और एनडीए सरकारों के मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए। इस मीटिंग का एजेंडा ही यह था कि कैसे आपातकाल के 50 साल पूरे होने को संविधान हत्या के प्रयास के तौर पर याद दिलाया जाए। यही नहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा, एकनाथ शिंदे और अजित पवार की एनसीपी इस मसले को उठाने वाले हैं। इसके तहत घर घर संविधान अभियान चलाया जाएगा। इसके माध्यम से संविधान लागू होने के 75 वर्ष का स्मरण किया जाएगा। दरअसल ‘घर-घर संविधान’ अभियान के माध्यम से भाजपा चाहती है कि विपक्ष के संविधान बदलने वाले नैरेटिव की काट की जा सके। विपक्ष के इस नैरेटिव का सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र और यूपी जैसे बड़े राज्यों में ही हुआ था।
महाराष्ट्र के 25 फीसदी वोटों को साधा जाएगा
इस अभियान के माध्यम से एनडीए के दल चाहते हैं कि महाराष्ट्र के 25 फीसदी वोटों को साधा जा सके। राज्य में 16 फीसदी दलित आबादी है, जबकि 9 फीसदी संख्या आदिवासियों की है। सूबे में 29 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति और 25 सीटें जनजाति के लिए आरक्षित हैं। भाजपा को लगता है कि ये सीटें पूरा गेम पलटने का दम रखती हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के सुझाव पर ही ‘घर-घर संविधान’ अभियान शुरू किया जाएगा। वह चाहते हैं कि इस अभियान के जरिए यह संदेश दिया जाए कि भाजपा कैसे संविधान को लेकर तत्पर है।
ओबीसी, एससी और एसटी पर ही पूरा जोर
भाजपा नेताओं का कहना है कि यह अभियान दलितों, ओबीसी और जनजाति समुदाय के बीच अच्छा संदेश देगा। पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस एवं उसके सहयोगी दलों ने इन्हीं समुदायों के बीच 2024 में भ्रम पैदा कर दिया था। महाराष्ट्र में भाजपा के दलित नेता धर्मपाल मेश्राम ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति नहीं होगी। हमारे अभियान का लाभ होगा और दलित मतदाता इस बार भाजपा के साथ फिर से आएंगे।इस तरह भाजपा 54 आरक्षित सीटों पर फोकस कर रही है, जहां से गेम पलट सकता है। इसके अलावा ओबीसी वर्ग पर भी फोकस है क्योंकि मराठा आरक्षण आंदोलन के चलते उनके जरिए ही नुकसान की भरपाई की उम्मीद है। हरियाणा में भी भाजपा ने सामाजिक समीकरण का माइक्रो मैनेजमेंट करके जीत हासिल की थी। माना जा सकता है कि कुछ ऐसा ही प्रयास वह महाराष्ट्र में भी करना चाहती है।