दीपक द्विवेदी
चीन के प्रति ट्रंप के संभावित कड़े रुख को देखते हुए भारत को बेहतर मौके मिल सकते हैं। चीन से मुंह मोड़ने वाली अनेक अमेरिकी कंपनियां भारत को विकल्प के रूप में देख रही हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चुनाव जीत गए हैं पर इस बार उन्हें ऐतिहासिक एवं जोरदार जीत हासिल हुई है। यही नहीं; सीनेट में भी उनकी पार्टी को बहुमत मिल गया है। राष्ट्रपति पद की रेस के लिए मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की उनकी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस के बीच था। अमेरिकी चुनाव में स्विंग स्टेट ने ट्रंप की जीत में अहम भूमिका अदा की। डोनाल्ड ट्रंप ने जीत के लिए जरूरी 270 वोटों का जादुई आंकड़ा पार कर लिया और कमला हैरिस देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का मौका गंवा बैठीं।
अब रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत के गहरे निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। ट्रंप को लेकर अनेक प्रकार की संभावनाएं और आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि इस नतीजे का प्रभाव अमेरिका की घरेलू राजनीति पर तो पड़ेगा ही, साथ ही अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर भी खूब दिखेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप, भारत और पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर दोस्ती का भाव रखते हैं और नजरिया सकारात्मक हो तो रिश्तों में आने वाली छोटी-मोटी बाधाएं स्वत: ही दूर होती रहती हैं। भारत और अमेरिका के आपसी रिश्ते अब उस अवस्था में नहीं रह गए हैं कि उन्हें किसी खास पार्टी या नेता की अगुआई वाली सरकार की दरकार हो लेकिन इसके बावजूद अगर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का फिर से राष्ट्रपति चुना जाना द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से एक उत्साहपूर्ण घटना मानी जा रही है तो यह बेवजह नहीं है। दोनों देशों के रिश्तों के कई ऐसे पहलू हैं जहां ह्वाइट हाउस में ट्रंप की मौजूदगी का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ने की उम्मीद की जा रही है।
राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व के उन कुछ नेताओं में से एक थे जिन्होंने ट्रंप को जीत पर सबसे पहले बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा था कि मेरे दोस्त डोनाल्ड ट्रंप को ऐतिहासिक चुनावी जीत पर हार्दिक बधाई। जैसा कि आप अपने पिछले कार्यकाल की सफलताओं को आगे बढ़ा रहे हैं, मैं भारत-अमेरिका संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए हमारे सहयोग की आशा करता हूं। आइए हम सब मिलकर अपने लोगों की बेहतरी के लिए काम करें और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा दें।
कुछ ऐसे ही भाव डोनाल्ड ट्रंप ने भी बातचीत के दौरान व्यक्त किए थे। जीत के बाद पीएम मोदी से ट्रंप बोले थे कि पूरी दुनिया मोदी को प्यार करती है और भारत एक अद्भुत देश है। सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं ने वैश्विक शांति के लिए साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। बातचीत के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूरी दुनिया उन्हें प्यार करती है। उन्होंने भारत को एक महान देश और पीएम मोदी को एक महान नेता बताया। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को एक सच्चा मित्र माना और कहा कि पीएम मोदी उनकी चुनावी जीत के बाद सबसे पहले संपर्क करने वाले विश्व नेताओं में से एक हैं। पीएम मोदी ने भी कहा था, मेरे मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सार्थक बातचीत हुई। प्रौद्योगिकी, रक्षा और अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए एक बार फिर राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मिलकर काम करने को लेकर वह उत्सुक हैं। डोनाल्ड ट्रंप अगले साल बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति भारत की यात्रा भी करेंगे। दरअसल भारत में 2025 में क्वाड लीडर्स समिट होना है जिसमें हिस्सा लेने के लिए ट्रंप भारत आएंगे। इस सम्मेलन से इतर सदस्य देशों (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) के प्रमुखों की मुलाकात का रिवाज रहा है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि पीएम मोदी से उनकी खास मुलाकात होगी। इस दौरान दोनों देशों के संबंधों में और नए आयाम जुड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। वैसे इन सब तमाम उम्मीदों के बीच ट्रंप के इस कार्यकाल को लेकर कुछ ठोस आशंकाएं भी हैं। सबसे बड़ा सवाल प्रवासियों पर उनके रुख को लेकर है। देखने वाली बात यह होगी कि उनकी सरकार अवैध प्रवासियों को ही निशाना बनाती है या वैध तौर पर आने वाले हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स की राह को भी कठिन बनाती है।
जहां तक भारत की अहमियत की बात है तो ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान चीन के साथ ट्रेड वॉर की पृष्ठभूमि में यह संभावना निराधार नहीं है कि हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ी हुई आक्रामकता पर उनका रुख बाइडन सरकार के मुकाबले और कड़ा हो सकता है। चीन के संदर्भ में देखें तो ट्रंप की नजर में भारत की अहमियत और ज्यादा होगी। हालांकि इसका नतीजा क्वॉड जैसे मंचों को सामरिक रूप देने पर जोर के रूप में भी आ सकता है जिससे भारत सहमत नहीं रहा है। इसके अलावा चीन के प्रति ट्रंप के संभावित कड़े रुख को देखते हुए भारत को बेहतर मौके मिल सकते हैं। चीन से मुंह मोड़ने वाली अनेक अमेरिकी कंपनियां भारत को विकल्प के रूप में देख रही हैं। इनमें एपल भी शामिल है और अमेरिका के बड़े उद्योगपति एलन मस्क भी जो आजकल हमेशा ट्रंप के साथ दिखाई दे रहे हैं। वैसे भी ट्रंप के कार्यकाल में कुछ मुद्दों के इतर अमेरिका और भारत के बीच रक्षा एवं अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की पूरी उम्मीद व्यक्त की जा रही है।