ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘मिशन अस्मिता’ के जरिये अंतरराज्यीय अवैध धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश करते हुए छह राज्यों से 10 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण के अनुसार इस मामले का आगाज मार्च में आगरा से हुआ जब दो बहनों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई गई थी।
पुलिस जांच में पता चला कि उन्हें जबरन धर्मांतरण के लिए उकसाया गया था। इस गिरोह को अमेरिका और कनाडा से फंडिंग मिल रही थी। डीजीपी राजीव कृष्ण ने बताया कि यह कार्रवाई मिशन अस्मिता अभियान के तहत की गई जिसका उद्देश्य लव जिहाद, अवैध धर्मांतरण, उग्रवाद और अंतरराष्ट्रीय जिहादी नेटवर्क से जुड़ी गतिविधियों में लिप्त संगठनों को चिन्हित कर उन्हें समाप्त करना है। आगरा पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए जांच शुरू की। लापता बहनों की तलाश और धर्मांतरण के आरोपों की पड़ताल के लिए विशेष टीमें बनाई गईं।
क्या है मामला
आगरा में 24 मार्च को दो सगी बहनें अचानक गायब हो गईं ं। 33 वर्षीय और 18 वर्षीय बहनों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। इनमें से एक ने हथियार के साथ सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर साझा की थी जिससे मामले की संवेदनशीलता और संगीनता बढ़ी।
परिजनों ने शिकायत दर्ज कराई
परिजनों ने पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई। पुलिस ने पहले इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन परिवार के लगातार दबाव के बाद पुलिस ने 41 दिन बाद साइमा उर्फ खुशबू नाम की एक महिला के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया। जांच में पता चला कि दोनों बहनें धर्मांतरण के एक नेटवर्क में फंस गई थीं।
ऐसे खुला राज
प्रारंभ में पुलिस ने यह कह कर मामले को टाल दिया कि दोनों लड़कियां बालिग हैं। इसका मतलब है कि वे 18 साल से ज्यादा उम्र की हैं और अपना फैसला खुद ले सकती हैं पर पिता ने हार नहीं मानी और लगातार पुलिस पर दबाव बनाए रखा।
जांच में पता चला कि बड़ी बहन की दोस्ती जम्मू-कश्मीर की रहने वाली साइमा से थी। साइमा ने बड़ी बहन का ब्रेनवॉश किया। जब बड़ी बहन वापस आई तो उसने अपनी छोटी बहन को भी उसी रास्ते पर डाल दिया। पुलिस को जांच में पता चला कि दोनों बहनें धर्मांतरण के नेटवर्क से जुड़ चुकी थीं।































