ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह “स्वास्थ्य कारण” और “डॉक्टरों की सलाह” बताई। उनका इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तुरंत मंजूर कर लिया।
धनखड़ का ये फैसला ऐसे वक्त आया है जब कुछ ही घंटे पहले उन्होंने राज्यसभा में एक बेहद अहम मुद्दे—हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर विस्तार से अपनी बात रखी थी। इसी वजह से विपक्ष और कई राजनीतिक जानकार इस इस्तीफे को सिर्फ स्वास्थ्य का मामला नहीं मान रहे हैं। विपक्षी नेताओं ने इसे ‘जबरन इस्तीफा’ बताया और सरकार से जवाब मांगा है।
धनखड़ अपने कार्यकाल में न्यायपालिका की तीखी आलोचना के लिए जाने जाते रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर ज्यादा दखल और जवाबदेही की कमी जैसे आरोप कई बार लगाए। उन्होंने खासतौर पर न्यायिक नियुक्तियों के कानून को रद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए थे, जिसे संसद ने भारी बहुमत से पास किया था।
मार्च, 2025 में जब जज यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में आधा जला हुआ कैश मिला, तो धनखड़ ने इस मुद्दे को और खुलकर उठाया। उन्होंने इस मामले में एफआईआर न होने पर भी सवाल किए और कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई इन हाउस जांच कमेटी असंवैधानिक है क्योंकि उसके पास जांच के लिए जरूरी अधिकार नहीं हैं।
21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन जज वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। राज्यसभा में 200 से ज्यादा सांसदों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए, जबकि लोकसभा में भी 145 सांसदों ने समर्थन जताया। सरकार ने कहा कि इस बार सभी पार्टियां एकजुट हैं।
धनखड़ ने इस्तीफे से ठीक पहले राज्यसभा में महाभियोग प्रक्रिया की तकनीकी बातों को समझाया और बताया कि अगर प्रस्ताव दोनों सदनों में एक ही दिन पेश हो, तो जो पहले पेश हुआ उसे ही मान्यता मिलती है। इसके बाद उन्होंने सचिवालय से पुष्टि कराई कि लोकसभा में भी प्रस्ताव पेश हो चुका है।













			

















