ब्लिट्ज ब्यूरो
अलीगढ़। ग्राम पंचायत जिरौली हीरा सिंह के प्रधान मनोज सिंह ने तेलंगाना इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट का पांच दिवसीय एक्सपोजर विजिट कर लौटने के बाद वहां की पंचायत व्यवस्था के अनुभव साझा किए। इस अवसर पर संस्थान की ओर से उन्हें प्रशिक्षण प्रशस्ति-पत्र भी प्रदान किया गया। जनसहभागिता वहां की सबसे बड़ी ताकत है। पंचायत स्तर पर तय कार्यों के लिए प्रत्येक व्यक्ति-महिला, पुरुष या छात्र को महीने में एक दिन श्रमदान करना अनिवार्य है, जिसे लोग खुशी-खुशी स्वीकार करते हैं। नशामुक्ति अभियान पंचायत स्तर से ही संचालित होते हैं, जिनके चलते कई गांव पूर्ण रूप से नशामुक्त हो चुके हैं।
उपलब्ध कराती है। साथ ही वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए चौपाल के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है। ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष एक्ट लागू है, जिसके तहत हाउस टैक्स वसूला जाता है। लगभग चार रुपये प्रति स्क्वायर फुट की दर से लिया गया टैक्स पंचायत की आय का मुख्य स्रोत है। लापरवाही रोकने के लिए लेट पेनल्टी की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि किसी भी गांव में खुली नाली नहीं है और सीवर सिस्टम पर प्रभावी कार्य हुआ है। इसी कारण से ग्रामीणों का जीवन सरल, स्वस्थ और खुशहाल है। अनुभव साझा करते हुए ग्राम प्रधान ने कहा कि तेलंगाना की पंचायतों में बहुत कुछ सीखने योग्य है। यदि ऐसी व्यवस्थाएं हमारे क्षेत्र में भी लागू हों तो न केवल ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि गांव आत्मनिर्भर बनकर विकास की नई मिसाल पेश करेंगे। साथ ही उन्होंने यह संकल्प भी लिया कि अपने गांव जिरौली हीरा सिंह में पौधारोपण, नशामुक्ति अभियान और स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए इन योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
छायादार-फलदार वृक्ष लगाना अनिवार्य
वहां हर गांव में पौधशाला विकसित की गई है और प्रत्येक परिवार को छायादार एवं फलदार छह पौधे लगाना अनिवार्य किया गया है। यही कारण है कि लगभग 25% क्षेत्र हरियाली से आच्छादित है और पर्यावरण स्वस्थ एवं सुंदर बना है।
उन्होंने बताया कि तेलंगाना की पंचायतें बेहद सशक्त और आत्मनिर्भर हैं। वहां पर बेटी के जन्म पर पंचायत द्वारा स्वागतोत्सव आयोजित किया जाता है और सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत बच्ची के खाते में पहली 1000 रुपये की धनराशि जमा कराई जाती है।
जनस्वास्थ्य को लेकर बरती जाती है सजगता स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भी सजगता देखने को मिली। बच्चों और 60 वर्ष से अधिक आयु वालों की हर गुरुवार को नियमित जांच कर दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। वृद्धा पेंशन की समयावधि 57 वर्ष तय है और केवल 20 दिनों में पेंशन स्वीकृत हो जाती है।