ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं? यह सवाल मानवता को सदियों से परेशान करता रहा है लेकिन अब इस सवाल का जवाब मिलने की उम्मीद जगी है और वो भी एक भारतीय वैज्ञानिक की ऐतिहासिक खोज से!
भारतीय मूल के खगोलशास्त्री डॉ. निक्कू मधुसूदन ने, जो आईआईटी बीएचयू और एमआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़े हैं, कैम्बि्रज यूनिवर्सिटी में अपनी टीम के साथ मिलकर ऐसा काम किया है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। उन्होंने नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी ) की मदद से 120 प्रकाश वर्ष दूर स्थित ग्रह के 2-18बी में कुछ चौंकाने वाले संकेत खोजे हैं। ऐसे संकेत जो जीवन की उपस्थिति की ओर इशारा करते हैं।
ग्रह के2-18बी: एक संभावित ‘हाईसीन वर्ल्ड’
के2-18बी नामक यह ग्रह एक ऐसा ग्रह है जिसे वैज्ञानिक ‘हाईसीन वर्ल्ड’ कह रहे हैं—अर्थात ऐसा ग्रह जहां महासागर जैसा जलमग्न वातावरण और हाइड्रोजन से भरपूर वायुमंडल हो सकता है। इस प्रकार का वातावरण जीवन के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है।
जेडब्ल्यूएसटी के डेटा में डाइमिथाइल सल्फाइड (डीएमएस) नामक एक अणु की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। यह वही अणु है जिसे पृथ्वी पर केवल जीव—विशेषकर समुद्री पौधे और प्लवक—ही बनाते हैं। इसके साथ ही मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों की उपस्थिति भी दर्ज की गई है, जो बायोलॉजिकल एक्टिविटी की संभावना को और मजबूत करती हैं।
वैज्ञानिक दुनिया में हलचल
यह खोज ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स’ में प्रकाशित हुई है और इसे अब तक जीवन की खोज में सबसे ठोस वैज्ञानिक प्रमाण माना जा रहा है। डॉ. मधुसूदन वही वैज्ञानिक हैं जिन्होंने सबसे पहले ‘हाईसीन प्लैनेट्स’ की थ्योरी दी थी, और अब उनकी ही टीम ने इस विचार को संभवतया धरातल पर ला दिया है।
एलियंस का सवाल फिर से गर्म
यह खोज एक बार फिर उस बड़े सवाल को हवा देती है—“अगर ब्रह्मांड में जीवन है, तो हमें एलियंस क्यों नहीं मिले?”
डॉ. मधुसूदन का उत्तर बेहद सोचने पर मजबूर करता है—“अगर इस ग्रह पर जीवन की पुष्टि हुई, तो इसका अर्थ होगा कि हमारी आकाशगंगा में जीवन आम बात हो सकती है।”
आगे क्या?
अब इस ग्रह की और गहराई से जांच के लिए जेम्स वेब टेलीस्कोप और एरियल मिशन 2029 का इस्तेमाल किया जाएगा। आने वाले सालों में इस दिशा में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
भारत के लिए गर्व का क्षण
एक भारतीय वैज्ञानिक द्वारा की गई यह खोज न केवल विज्ञान की दुनिया में क्रांति ला सकती है, बल्कि यह भारत के लिए भी गर्व का विषय है। भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा और योगदान ने एक बार फिर विश्व मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को ऊंचा किया है।