ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने एक ऐसा रेल ब्रिज तैयार किया है जो दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पियर ब्रिज है। मणिपुर तक रेल लाइन पहुंचाने के लिए नोनी ब्रिज तैयार किया गया। यह केंद्र सरकार की विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी के प्रति प्रतिबद्धता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
भारत में रेल का कनेक्शन तेजी से बढ़ रहा है। रेलवे की ट्रेनें उन जगहों पर भी जाने लगी हैं, जहां आज तक नहीं पहुंची थीं। सालों के इंतजार के बाद अब रेल कनेक्शन मिजोरम तक पहुंच गया है। जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज बनाने के बाद भारतीय रेलवे ने एक और नया रिकॉर्ड बनाया है। नया रिकॉर्ड पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) की ओर से बनायागया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 सितंबर को मिजोरम में 9,000 करोड़ रुपए से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का वर्चुअल माध्यम से शिलान्यास और उद्घाटन किया। उन्होंने 51.38 किलोमीटर लंबी बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना और तीन नई ट्रेनों का भी उद्घाटन किया। मिजोरम के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन रहा क्योंकि यह भारत के रेलवे मानचित्र में शामिल हो गया है।
जब भी बात भारत के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज की होती है तो नाम याद आता है चिनाब ब्रिज का लेकिन मिजोरम की इस रेलवे लाइन पर बना ये रेल ब्रिज अपने आप में रिकॉर्ड बना रहा है। 462 फुट ऊंचा और 111 किलोमीटर लंबा यह ब्रिज जीरीबाम-इंफाल रेलवे लाइन परियोजना के सबसे शुरुआती हिस्से में ही है। पिलर पर बना यह ब्रिज कुतुब मीनार से ऊंचा है।
जहां कुतुब मीनार 72 मीटर ऊंची है तो इसकी ऊंचाई 114 मीटर है। 45 सुरंग, 88 छोटे और 55 बड़े ब्रिज के साथ अब इस ब्रिज से राजधानी एक्सप्रेस गुजरने लगी है। जिरीबाम-इंफाल रेलवे लाइन प्रोजेक्ट के तहत बने इस ब्रिज को पुल नंबर 164 का नाम दिया गया है।
क्यों खास है ये ब्रिज
इस ब्रिज पर बने दो पिलर्स या पियर्स पी3, पी4 की ऊंचाई141 मीटर है जो दुनिया के सबसे ऊंचे पियर्स हैं। ब्रिज को बनाने में स्टील स्पैन लगाए गए हैं। कई तकनीकी चुनौतियों का सामना करते हुए इसका निर्माण किया गया है। पहाड़ी इलाकों और गहरी घाटियों में ब्रिज का निर्माण आसान नहीं था, इसलिए लागत भी बढ़ गई। इस ब्रिज की वजह से मणिपुर को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ना संभव हो सका है। यह ब्रिज जिरिबाम से इंफाल तक की रेल परियोजना का अहम हिस्सा है। इसके बनने से और रेल सेवा शुरू होने से 10 घंटे का सड़क सफर घटकर रेल से लगभग 2.5 घंटे में तय हो रहा है।
1400 करोड़ रुपये की लागत से बना चिनाब ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च रेल ब्रिज है। आर्च ब्रिज यानी जब पुल के निर्माण में पिलर के बजाए आर्च या आर्क (घुमावदार संरचना) का उपयोग किया जाता है। ये आर्क भार सीधे नीचे धकेलने के बजाय उसे घुमावदार मेहराब के जरिए दोनों छोर पर लगे मजबूत आधारों यानी एबटमेंट पर डालता है जबकि पियर ब्रिज में पुल का वजन पिलर्स पर होता है। पियर रेल पुल में खंभों (पियर्स) का उपयोग होता है, जो वजन को नीचे जमीन पर स्थानांतरित करते हैं।
– 10 घंटे का सफर 2.5 घंटे में
– 462 फुट की ऊंचाई पर दौड़ेगी ट्रेन
– लागत ₹8071 करोड़