ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी इलाके में मौजूद लोदी काल के स्मारक ‘गुमटी ऑफ शेख अली’ के आसपास गंदगी और अव्यवस्था पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, ‘अगर कोई बड़ा नेता या मेहमान आने वाला हो, तो आप 2 घंटे में सफाई कर देते हैं, लेकिन आम हालात में जगह गंदी पड़ी रहती है। यह कोर्ट के आदेशों की इज्जत दिखाने का तरीका है?’
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और एसवीएन भट्टी की बेंच ने एमसीडी कमिश्नर को आदेश दिया कि वह अपने अफसरों की जिम्मेदारी तय करें और कोर्ट को एक एक्शन प्लान सौंपें। साथ ही, कोर्ट ने एक वरिष्ठ अधिकारी को रोजाना हालात की निगरानी के लिए नियुक्त करने को कहा। उस अधिकारी का नाम कोर्ट कमिश्नर और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन को भी दिया जाएगा।
साइट विजिट में मिली लापरवाही
कोर्ट कमिश्नर ने मौके का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी। रिपोर्ट में गंदगी और आदेशों की अनदेखी साफ दिखाई दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई और दोपहर 3 बजे तक एमसीडी कमिश्नर को खुद कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा, ‘हमने एमसीडी को काफी समय और छूट दी, लेकिन हमारी उम्मीदें उनके रवैये से टूट गई हैं। लगता है कि कोर्ट के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया गया।’ वहीं कोर्ट में एमसीडी कमिश्नर ने पेश होकर माना कि कुछ कम्युनिकेशन गैप हुआ था, खासकर सीमेंटेड हिस्से को लेकर, और भरोसा दिलाया कि इसे हटाया जाएगा।
कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को निर्देश दिया कि वे गुमटी परिसर से अपने ढांचे हटाएं और 40 लाख रुपये का मुआवजा दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग को दें।
यह मामला डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी की याचिका पर चल रहा है, जिन्होंने 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।