दीपक द्विवेदी
जम्मू-कश्मीर के लोग भी आतंकवाद, अलगाववाद और हिंसा नहीं चाहते। यहां के लोग शांति और समृद्धि चाहते हैं। यहां के लोग अपने बच्चों के लिए उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं।
जम्मू-कश्मीर में बदलाव की बयार बह रही है। हाल के विधानसभा चुनावों में यहां हुए रिकॉर्ड मतदान से तो कम से कम यही साबित हो रहा है। मतदान के प्रति राज्य के लोगों की दिलचस्पी और बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी इसी बात का शंखनाद कर रही है कि कश्मीरी भी विकास की राह ही पसंद कर रहे हैं और वे मुख्य धारा से जुड़ने के लिए दिलो-जान से तत्पर हैं। यहां हुए चुनाव भी कश्मीरी जनता का यह संदेश साफ-साफ बयां कर रहे हैं कि… बस अब बहुत हुआ आतंकवाद!
इसमें कोई दोराय नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाए जाने के बाद से यहां के हालात में तेजी से सुधार आया है और यहां विकास की नई बयार बही है। यही नहीं, यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी कई गुणा इजाफा हुआ है जिससे यहां पर्यटन उद्योग को भी नवजीवन मिला है। इससे स्थानीय निवासियों के जीवन और उनकी आर्थिक दशा के स्तर में भी व्यापक सुधार देखने को मिल रहा है।
यह बात दीगर है कि देश के ही कुछ नेताओं और पड़ोसी मुल्क को यह बात समझ में नहीं आ रही है। यहां के चुनावों में कुछ राजनीतिक दलों ने सिर्फ यही राग आलापा है कि वे अगर सत्ता पाते हैं तो अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करेंगे। पाकिस्तान भी यही राग आलापता रहता है जबकि वास्तव में यहां की जनता यह जान चुकी है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से उन्हें वे सारे अधिकार मिल गए हैं जो भारत के अन्य नागरिकों के पास बहुत पहले से ही थे। अनेक वर्गों को अब आरक्षण का अधिकार मिला है तथा महिलाओं को भी अनेक अधिकार मिले हैं जो उनके पास पहले नहीं थे।
शायद यही वजह है कि चुनाव प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने कश्मीर में हिंसा के लंबे दौर को समाप्त करके कश्मीर में एक नई सुबह का आगाज किया है। उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई ताकत जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी नहीं करा सकती। हम पाकिस्तान के एजेंडे को जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं करने देंगे। यहां यह बात गौर करने वाली है कि पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ने कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस का खुलकर समर्थन किया है। उनका कहना है कि आर्टिकल 370 और 35 ए को लेकर कांग्रेस और एनसी का एजेंडा वही है जो पाकिस्तान का है। अगर इसे सही समझा जाए तो पाकिस्तानी डिफेंस मिनिस्टर का यह बयान कहीं कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस की पोल खुद ही तो नहीं खोल रहा? हालांकि दोनों पार्टियों की ओर से इस बात को नकारा गया है पर इससे क्या संदेश जाता है? यह बात चिंता करने वाली जरूर है।
एक दौर था, जब लाल चौक पर आना, यहां तिरंगा फहराना, जान जोखिम में डालने वाला काम था। बरसों तक यहां लोग लाल चौक में आने से डरते थे लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। श्रीनगर के बाजारों में अब ईद और दीवाली दोनों की रौनक देखने को मिलती है। लाल चौक बाजार में देर शाम तक चहल-पहल रहती है, यहां देश-दुनिया से रिकॉर्ड टूरिस्ट आ रहे हैं।
विगत दिनों संयुक्त राष्ट्र के मंच से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कश्मीर पर जो रोना रोया और भारत पर जो मनगढ़ंत आरोप लगाए, उनका भारतीय प्रतिनिधि ने करारा जवाब देकर बिल्कुल सही किया। पाकिस्तान को हर समय यह पता चलना ही चाहिए कि कोई भी उसका रुदन सुनने के लिए तैयार नहीं है। वह अभी भी आतंकवाद को अपना सहयोग, समर्थन और संरक्षण देने से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर को लेकर सुरक्षा परिषद से हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी। पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने के बाद भी संयुक्त राष्ट्र ने कोई एक्शन नहीं लिया। पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में अकेला पड़ गया है। यहां तक कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने भी कई साल बाद कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने वार्षिक भाषण में नहीं उठाकर अपने इस्लामिक भाई पाकिस्तान को करारा झटका दे दिया है। यह अच्छा हुआ कि भारत ने पाकिस्तान को फटकार लगाने के साथ ही यह भी बता दिया कि उसे आतंकवाद को संरक्षण देने के दुष्परिणाम भुगतने ही होंगे-ठीक वैसे ही जैसे उसने भारत की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयर स्ट्राइक के रूप में भोगे थे क्योंकि नया भारत अब घर में घुस कर मारता है। सीमा पार से आतंकी नीति कभी सफल नहीं होगी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब केवल एक ही मुद्दा बचा है और वह है पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जे में लिए गए भारतीय क्षेत्र (पीओके) को खाली करना। हम वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता को महत्व देते हैं और भारत का जोर सबके विकास पर है। दरअसल जम्मू-कश्मीर के लोग भी आतंकवाद, अलगाववाद और हिंसा नहीं चाहते । यहां के लोग शांति, विकास और समृद्धि चाहते हैं। यहां के लोग अपने बच्चों के लिए उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं।