ब्लिट्ज ब्यूरो
योग केवल अभ्यास नहीं,यह एक ठहराव है, रीसेट है और स्वयं से जुड़ने का जेंटल रिमाइंडर भी है। कलर्स, जी टीवी और सोनी सबके लोकप्रिय चेहरे बता रहे है कि कैसे छोटे-छोटे योग अभ्यासों से उनकी दिनचर्या में बड़े बदलाव आए। शांत श्वास से लेकर माइंडफुल मूवमेंट तक, उन्हें मानसिक रूप से तरोताजा भी करता है
गीतांजलि मिश्रा
योग बदलाव की तरह है, खासकर जब मैं भावनात्मक रूप से टूट जाती थी। तनाव के चलते मुझे ओवरइटिंग की आदत पड़ गई थी। तब मैंने अपने रूटीन में ‘पश्चिमोत्तानासन’ को शामिल किया, जिसने मेरे नर्वस सिस्टम को शांत किया और इमोशनल क्रेविंग्स पर नियंत्रण पाने में मदद की। इसके अलावा ‘नाड़ी शोधन प्राणायाम’ मेरे लिए ‘रीसेट बटन’ बन गया, जिससे मैं तुरंत शांत और स्थिर महसूस करती हूं। थेरेपी है जो भीतर से पोषण देती है।
आसिफ शेख
मानसिक और भावनात्मक संतुलन, शारीरिक फिटनेस जितना ही जरूरी है। योग मेरे लिए उस संतुलन की डोर बन गया है। ‘वृक्षासन’ मुझे लंबे शूट्स के दौरान भी जमीन से जोड़े रखता है, जबकि ‘भुजंगासन’ से मेरी रीढ़ मजबूत हुई है और ऊर्जा भी बढ़ी है, यह मेरा रोजाना का पावर बूस्ट है। ‘अनुलोम विलोम’ मैं कभी नहीं छोड़ता, चाहे शूट पर जाते वक्त कार में ही क्यों न करना पड़े। इससे दिमाग साफ होता है और तनाव दूर रहता है। खाने के बाद मैं दस मिनट ‘वज्रासन’ में बैठता हूं, इससे पाचन में जबरदस्त सुधार हुआ है।
अनुष्का मर्चडे
हर रविवार सुबह, सूरज निकलने से पहले मैं और मेरी बहनें योगा मैट बिछा लेते हैं। ये आदत कई साल पहले शुरू की थी और अब ये हमारे लिए परंपरा बन गई है। स्ट्रेचिंग, हंसी-मजाक और चुपचाप बैठकर सोचने के बीच हम आपस में भी जुड़ जाते हैं। पार्क जाना शुरू कर दिया, नंगे पैर, खुले आसमान के नीचे। पेड़ों और हवा की आवाज के बीच योग करना और अच्छा लगने लगा। ये सिर्फ शरीर के लिए नहीं था- ये हमसे, अपनों से और इस धरती से जुड़ने जैसा था।
सायली सालुंखे
मेरे लिए योग केवल आसनों का अभ्यास नहीं है। यह खुद से आत्मीय संवाद है। यह वह समय है, जब मैं धीमे-धीमे चलना सीखती हूं, गहरी सांसें लेती हूं और अपने भीतर की शांत शक्ति को सुनती हूं। कुछ मिनटों की माइंडफुल ब्रीदिंग या हल्की स्ट्रेचिंग भी पूरे दिन की दिशा बदल सकती है। योग ने मुझे संतुलन सिखाया-सिर्फ चटाई पर ही नहीं बल्कि हर भावना और हर चुनौती में भी। योग को सिर्फ ट्रेंड के रूप में नहीं बल्कि जीवन भर के साथी के रूप में अपनाएं। वहीं से शुरू करें जहां आप है, जो है उसी से और योग खुद से जुड़ने का मार्ग दिखाएगा।
सिमरन कौर
मेरे लिए योग अब सिर्फ फिटनेस का हिस्सा नहीं है, ये मेरे अच्छे स्वास्थ्य और इस धरती के अच्छे भविष्य के बीच का पुल बन गया है। मैं हमेशा से फिटनेस पसंद करती थी लेकिन पहले यह सब कार्डियो और जिम तक ही सीमित था। धीरे-धीरे समझ आया कि असली फिटनेस वो है, जो शरीर, मन और प्रकृति सबको जोड़ती है। अब अक्सर खुली खिड़की के पास बैठकर, बाहर की हवा और आवाजें महसूस करते हुए मेरी सुबह 10 से 15 मिनट ध्यान और गहरी सांसों से शुरू होती है। इससे दिन की शुरुआत शांति और धैर्य से भरी होती है।
दीपिका सिंह
योग बचपन से ही मेरे जीवन का हिस्सा रहा है। मैं अपनी मां को हर सुबह योग करते देखती थी और अनजाने ही यह मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन गया। यह मेरा सहारा बन गया। मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से शास्त्रीय ओडिसी नृत्यांगना होने के नाते, मुझे हमेशा लगता है कि योग और नृत्य का तालमेल होता है-दोनों में एकाग्रता और धैर्य की जरूरत होती है। मेरे लिए योग प्रदर्शन नहीं है बल्कि खुद के लिए हर दिन उपस्थित रहने का जरिया है।
रुबीना दिलैक
योग जमीन से जुड़ने का जरिया है, खासकर इस तेज रफ्तार दुनिया में। यह हमेशा एक घंटे की मैट प्रैक्टिस नहीं होती-कई बार ये बस पांच मिनट की गहरी सांसें लेकर भीतर झांकने की बात होती है। योग ज़रूरी ठहराव देता है। कुछ सजग सांसें ही ऊर्जा को पूरी तरह बदल सकती है। योग को काम की तरह न देखें, इसे रोज का उपहार मानिए।
नारायणी शास्त्री
योग हमेशा खुद से जुड़ने का माध्यम रहा है। इसने मुझे खुद के प्रति सजग बनाए रखा है। योग मुझे शांत होने, भीतर झांकने और स्पष्ट सोच के साथ लौटने का मौका देता है। मैं योग को कभी दबाव के साथ नहीं करती, कुछ दिन पूरी प्रैक्टिस करती हूं, और कुछ दिन बस सजग श्वासें ही लेती हूं। यह मुझे शांत पल देता है, जो आज के इस तेज समय में हम सबको चाहिए।































