मनोज जैन
नई दिल्ली। कृषि उत्पादन में सुधार और निजी खपत बढ़ने की वजह से विश्व वित्त वर्ष यानी 2024-25 बैंक ने चालू वित्त के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 0.4 फीसदी बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। वैश्विक संस्था ने अप्रैल, 2024 में चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान जताया था।
विश्व बैंक द्वारा जारी ‘साउथ एशिया ग्रोथ फॉरकास्ट’ रिपोर्ट में कहा, अपेक्षा से अधिक कृषि उत्पादन और रोजगार को बढ़ावा देने वाली सरकार की नीतियों से भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। साथ ही, देश में रोजगार बढ़ने से निजी खपत में भी तेजी आएगी। विश्व बैंक से पहले कई वैश्विक रेटिंग एजेंसियां और बहुपक्षीय संगठन भी भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ा चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जुलाई में 2024-25 के लिए विकास दर को 6.8 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया था।
बढ़ानी होगी महिलाओं की भागीदारी
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, दक्षिण एशियाई देश श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर एवं निवेश संबंधी क्षमताओं का दोहन कर और तेज रफ्तार से आगे बढ़ सकते हैं।
दक्षिण एशिया में श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी दुनिया में सबसे कम है। 2023 में सिर्फ 32 फीसदी कामकाजी महिलाएं ही श्रमबल का हिस्सा रहीं। पुरुषों का हिस्सा 77 फीसदी था। इन देशों में शादी के बाद महिलाएं श्रमवल में भागीदारी 12 फीसदी कम कर लेती हैं।
दक्षिण एशिया के लिए भी बढ़ाया अनुमान, भारत की बड़ी भूमिका
विश्व बैंक ने कहा, दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 6.4 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी। यह इसके पहले के 6 फीसदी की वृद्धि दर अनुमान से 0.4 फीसदी अधिक है। रहेगी दक्षिण एशिया की विकास दर दक्षिण एशिया के लिए विश्व बैंक के उपाध्यक्ष मार्टिन रेजर ने कहा, भारत में घरेलू मांग में मजबूती की वजह से दक्षिण एशिया के विकास दर अनुमान में बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे संकटग्रस्त देशों में तेजी से सुधार से भी समर्थन मिलेगा।
रेजर ने कहा, भारत में उपभोक्ताओं का एक उभरता हुआ वर्ग है, जो अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा रहा है। नेपाल और भूटान में भी पर्यटन के कारण सुधार हो रहा है। दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर इन कारकों का सकारात्मक असर देखने को मिलेगा।