ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। हिमालयी क्षेत्र में अब जलवायु परिवर्तन का असर तेजी से दिखने लगा है। इसका एक और सबूत हालिया सरकारी रिपोर्ट में देखने को मिला है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि हिमालयी क्षेत्र में 2011 से लेकर 2024 के बीच हिमानी झीलों (ठंडे क्षेत्र में पानी वाली झीलों) के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी देखी गई है। यह बढ़ोतरी भी 10.81 फीसदी की दर्ज की गई है। यानी हिमालय के जबरदस्त ठंड वाले क्षेत्र में भी अब तेजी से बर्फ का पिघलना शुरू हो गया है। चिंता की बात यह है कि इन बदलावों के चलते झीलों में अत्यधिक पानी से बाढ़ का खतरा काफी बढ़ गया है।
पूरे हिमालयी क्षेत्र की बात करें तो हिमानी झीलें और अन्य जलीय पिंडों का क्षेत्रफल 2011 के 5,33,401 हेक्टेयर से बढ़कर 2024 में 5,91,108 हेक्टेयर पहुंच चुका है, जो कि करीब 10.81 फीसदी की बढ़ोतरी है।
भारत के क्षेत्र में आने वाली झीलों में बढ़ोतरी और ज्यादा तेज
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में झीलों के सतही क्षेत्र में 33.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो कि काफी ज्यादा है। गौरतलब है कि भारत में 2011 में हिमानी झीलों का कुल क्षेत्रफल 1962 हेक्टेयर था। यह 2024 में 2623 हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। यह सतही क्षेत्रफल में 33.7 फीसदी की बढ़ोतरी है।
इस रिपोर्ट में भारत की 67 ऐसी झीलों की भी पहचान की गई है, जिनके सतही क्षेत्रफल में 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। इन्हें बाढ़ के खतरे के मद्देनजर उच्च-जोखिम वाली झीलों में रखा गया है। जिन राज्यों में हिमानी झीलों के क्षेत्रफल में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई, उनमें लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्कि म और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। इसके चलते इन राज्यों में पहाड़ से बाढ़ का खतरा काफी बढ़ गया है और सरकार द्वारा इस क्षेत्र की निगरानी और आपदा प्रबंधन बढ़ाने की जरूरतें भी जरूरी हो गई हैं।