ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने छोटे वाणिज्यिक और परिवहन वाहन चलाकर रोजी- रोटी कमाने वाले एलएमवी लाइसेंस धारक ड्राइवरों के बारे में अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा है कि हल्के मोटर वाहन (एलएमवी) लाइसेंस रखने वाले 7,500 किलोग्राम भार तक के परिवहन वाहन चला सकते हैं और इसके लिए उन्हें किसी अतिरिक्त अधिकार पत्र की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन कानून और ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े प्रावधानों को स्पष्ट कर एलएमवी धारक हजारों ड्राइवरों की रोजी-रोटी को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीमा कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। अब वे दुर्घटना की स्थिति में एलएमवी लाइसेंस पर छोटे परिवहन या वाणिज्यिक वाहन चलाने की कानूनी व तकनीकी दलीलें देकर दवा खारिज नहीं कर पाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने एलएमवी लाइसेंस धारक ड्राइवरों के दुर्घटना का शिकार होने पर वाहन बीमित होने के बावजूद कानूनी व तकनीकी आधार पर बीमा कंपनियों द्वारा दावा खारिज करने के पहलू को ध्यान में रखकर यह फैसला सुनाया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, हृषिकेश राय, पीएस नरसिम्हा, पंकज मित्तल और मनोज मिश्रा की पीठ ने 2017 के मुकुंद देवांगन मामले में तीन जजों की दी गई व्यवस्था पर मुहर लगाई है। उस फैसले में कोर्ट ने माना था कि 7,500 किलोग्राम तक के परिवहन वाहनों को हल्के वाहन की परिभाषा से बाहर नहीं रखा गया है। मौजूदा मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सवाल था कि क्या एलएमवी लाइसेंस धारक को 7,500 किलोग्राम तक के परिवहन वाहन चलाने का अधिकार है।