ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत के लिए गांवों के चहुंमुखी विकास का पीएम नरेन्द्र मोदी ने जो संकल्प लिया है, उसकी सिद्धि के लिए पंचायती राज मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र व राज्य स्तर पर बनने वाली विकास व कल्याणकारी योजनाओं का गांव स्तर पर क्रियान्वयन हो, इसके लिए पंचायत कर्मियों को सक्षम-दक्ष बनाने का निर्णय लिया गया है।
सामान्य सरकारी प्रशिक्षणों के इतर संभवतः यह पहली बार होने जा रहा है कि पंचायतीराज विभाग के कार्मिकों को आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में ग्रामीण विकास, नेतृत्व क्षमता, डिजिटल साक्षरता व अन्य संबंधित विषयों की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार प्रति अभ्यर्थी दस लाख रुपये तक खर्च करेगी। पंचायतीराज मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान में दीर्घकालिक घरेलू प्रशिक्षण के वित्त पोषण की उप योजना शामिल की है। इस योजना को मंत्रालय ने स्वीकृति भी दे दी है। इसके तहत पंचायत कार्यकारी अधिकारी, पंचायत विकास अधिकारी, पंचायत सचिव या समानांतर पद के कार्मिक, खंड विकास अधिकारी, खंड पंचायतीराज अधिकारी, खंड पंचायत विकास
अधिकारी सहित समानांतर पदाधिकारी के अलावा पंचायतीराज निदेशालय में विभिन्न पदों पर काम करने वाले पदाधिकारियों, जिला, ब्लाक और ग्राम पंचायत स्तर पर काम करने वाले जेई या उससे ऊपर के अभियंताओं को दक्ष बनाया जाना है। इन कार्मिकों को उन आईआईटी, आईआईएम या अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में एक वर्षीय पाठ्यक्रम कराया जाएगा, जो सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में चिन्हित हैं। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के तहत ओवरआल कैटेगरी के शीर्ष 50 संस्थान, मैनेजमेंट कैटेगरी, ला कैटेगरी और एग्रीकल्चर एंड एलाइड सेक्टर के शीर्ष 25-25 संस्थानों में भी प्रवेश मिल सकता है।