ब्लिट्ज ब्यूरो
प्रयागराज। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) के छह दिनी वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव ‘कलरव-अविष्कार के अवसर पर मुख्य अतिथि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय एयरोस्पेस विज्ञानी डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि आज के युवा वैज्ञानिकों का दायित्व है कि वे भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दें। भारत ने पहली बार में ही सफल अग्नि मिसाइल बना ली थी लेकिन अन्य देशों को इसपर विश्वास नहीं हो रहा था। डॉ. रेड्डी ने भावी टेक्नोक्रेट्स को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि देश ने दुनिया को अपनी क्षमता दिखाई,इसलिए देश के छात्र अपने को कम न समझें।
उन्होंने कहा कि भारत अब रक्षा प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में निरंतर अग्रणी बन रहा है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी तकनीक के विकास ने भारत की सुरक्षा और तकनीकी क्षमताओं को मजबूत किया है। स्वदेशी तकनीक ने भारत को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है।