संजय द्विवेदी
लखनऊ। राज्य में लखनऊ, कानपुर, बाराबंकी, बलिया, फिरोजाबाद समेत अनेक जनपदों में किसानों के सामने खाद का बड़ा संकट उत्पन्न हो गया है। किसान सुबह से ही सहकारी समितियों के केंद्र पर खाद पाने के लिए लाइन में खड़े होते हैं पर उन्हें देर शाम तक खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही। कहा जा रहा है कि खाद की बोरियां कम हैं और किसानों की संख्या अधिक। खाद संकट से त्रस्त किसान धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं। स्थिति को संभालने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं मोर्चा संभाला लिया है। खाद की उपलब्धता के लिए योगी ने उच्चस्तरीय बैठक की और कहा कि राज्य में किसानों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए सभी कदम उठाए जाएं।
अफसर केंद्र सरकार से समन्वय बनाएं
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि निजी क्षेत्र से प्राप्त हो रहे उर्वरक को सहकारी समितियों और अन्य सरकारी माध्यमों से किसानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों से मिलने वाली खाद को उचित मूल्य पर किसानों को उपलब्ध कराना आवश्यक है ताकि किसानों की फसल उत्पादन प्रक्रिया में कोई बाधा उत्पन्न नहीं हो। सीएम ने अधिकारियों से कहा कि वे केंद्र सरकार के साथ प्रभावी समन्वय बनाएं और आवश्यकतानुसार उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
किसानों को हर सुविधा मिले
मुख्यमंत्री योगी ने खाद वितरण स्थलों पर किसानों के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि खाद वितरण के दौरान किसानों को उचित लाइन, पानी की व्यवस्था, छाया और बैठने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वितरण केंद्रों पर अनुशासन बनाए रखा जाए और किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से बचा जाए। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि किसानों के हितों की रक्षा करते हुए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाए।
वितरण प्रक्रिया पर निगरानी रखें
मुख्यमंत्री ने खाद वितरण प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक विशेष तंत्र की स्थापना का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर अधिकारियों की एक टीम बनाई जाए जो वितरण प्रक्रिया पर नजर रखे और नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इस तंत्र के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि खाद की कालाबाजारी या जमाखोरी न हो। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गेहूं, सरसों और आलू की बोआई का समय
दरअसल खाद को लेकर यह संकट किसी गांव या जिले का नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का है। रबी की बोआई का पीक सीजन है। किसान खाद के लिए परेशान हैं। पूरी-पूरी रात लाइन में लग रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिल रही। यह हाल तब है जब अक्टूबर से बोआई शुरू हो गई है। सबसे पहले सितंबर में अगेती और फिर अक्टूबर में पछेती आलू की बोआई शुरू हो जाती है। अभी तक तो आलू किसान ही परेशान थे लेकिन अब नवंबर आ गया। इस समय गेहूं, सरसों और आलू की बोआई का भी सीजन चल रहा है। सबको खाद चाहिए, लेकिन पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल रही है।
कानपुर देहात में घंटों कतार में लगे हैं किसान
कानपुर में खाद की कमी के चलते किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। किसान खाद के लिए घंटों लंबी कतार में अपनी बारी का इंतजार करते हैं तो दूसरी तरफ संबंधित अधिकारी यह कह रहे हैं कि खाद की कमी नहीं है। किसानों को खाद दी जा रही है। बलिया के किसानों को भी खेतों में बुआई करने के लिए खाद नहीं मिल पा रही है। पूरे जिले में खाद कहीं भी नहीं मिल रही है। किसान पहले से ही बुआई के लिए परेशान हैं और प्राइवेट दुकानदार पैसों में मनमानी कर रहे हैं। खाद नहीं होने की वजह से खेतों में बुआई का काम ठप्प पड़ गया है।