ब्लिट्ज ब्यूरो
ब्राजीलिया। पीने के पानी में प्लास्टिक के महीन कण की मौजूदगी चिंता का विषय है। शरीर के लिए घातक इन माइक्रो नैनो प्लास्टिक को वाटर प्यूरिफायर भी साफ नहीं कर पाते। इस बीच, ब्राजील में साओ पाउलो विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने इसका समाधान खोज लिया है।
उन्होंने एक ऐसा तरीका विकसित किया है, जिससे पानी से माइक्रो-नैनो प्लास्टिक को निकाला जा सकता है। माइक्रोन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, एक तरह के ‘प्लास्टिक प्यूरिफायर’ बनाने में कामयाबी हासिल की है। यह मशीन नैनोटेक्नोलॉजी पर आधारित है। । यह प्रक्रिया पॉलीडोपामाइन के साथ चुंबकीय नैनोकणों का उपयोग करती है। यह नैनोकण माइक्रो-नैनो प्लास्टिक कचरे के साथ चिपक जाते हैं और उन्हें पानी से निकाल देते हैं। पॉलीडोपामाइन एक ऐसा पदार्थ है जो सूक्ष्म कणों को खुद में समेटने की क्षमता रखता है। इससे चुंबकीय शक्ति उत्पन्न होती है जिससे प्लास्टिक के कण उससे चिपक जाते हैं। प्रमुख शोधार्थी हेनरिक ईसी टोमा ने बताया, एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर इसका सफल परीक्षण हो चुका है।
क्या है नैनो-माइक्रो प्लास्टिक : प्लास्टिक के पांच मिलीमीटर से छोटे टुकड़ों को माइक्रो प्लास्टिक और इनसे भी छोटे टुकड़ों को नैनो प्लास्टिक कहा जाता है।
ऐसे मिली सफलता
शोधार्थियों ने कहा, नैनो और माइक्रो प्लास्टिक में सबसे घातक पीईटी प्लास्टिक होता है। यह प्लास्टिक की बोतलों और अन्य वस्तुओं के निर्माण में उपयोग होने वाला कच्चा माल है। इससे पानी में दो प्रदूषक टेरेफ्थेलिक एसिड और एथिलीन ग्लाइकॉल पैदा होते हैं। पानी से इन्हें साफ कर पाना नामुमकिन होता है। नई तकनीक से दोनों प्रदूषकों को विघटित करने में भी कामयाबी मिली।