ब्लिट्ज ब्यूरो
सिंगापुर। देश को शतरंज का नया शहंशाह मिल गया है। चेन्नई के डी. गुकेश ने विश्व शतरंज चैंपियन बनकर दुनिया में डंका बजा दिया है । साथ ही भारत को शतरंज में ‘महाशक्ति’ बनाने की ओर कदम भी बढ़ाए।
‘जीत के बाद कहा, अपने सपने को जी रहा हूं’
डी. मुकेश ने पिछले सप्ताह चार घंटे में 58 चाल के बाद गत चैंपियन चीन के डिंग लिरेन के खिलाफ 14वीं बाजी जीती और कुल मिलाकर 18वें विश्व शतरंज चैंपियन बने। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, मैं अपने सपने को जी रहा हूं। इसने ही मुझे यह खिताब जीतने वाला सबसे युवा खिलाड़ी बना दिया।
थोड़ा भावुक हो गया
मुकेश ने अपनी अविश्वसनीय जीत के बाद कहा, मैं थोड़ा भावुक हो गया क्योंकि मुझे जीतने की उम्मीद नहीं थी लेकिन फिर मुझे एक मौका मिला और मैंने उस पर दबाव बनाया। गुकेश ने आगे कहा, मैंने 6 या 7 साल की उम्र से इस पल का सपना देखा है। हर शतरंज खिलाड़ी इस पल को जीना चाहता है। मैं अपने सपने को जी रहा हूं। मैं ईश्वर का धन्यवाद करता हूं।
2013 में लक्ष्य कर लिया था तय
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक बनने का उनका सपना तब शुरू हुआ जब उन्होंने 2013 में चेन्नई में अपने आदर्श विश्वनाथन आनंद और नॉर्वे के महान शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के बीच विश्व चैंपियनशिप मैच देखा। उन्होंने कहा, 2013 में जब मैंने मैग्नस कार्लसन व विश्व चैंपियनशिप मैच में विश्वनाथन आनंद को देखा तो मुझे लगा कि एक दिन ग्लास रूम के अंदर होना बहुत अच्छा होगा। और वास्तव में वहां बैठना और अपने बगल में भारतीय ध्वज को देखना शायद सबसे अच्छा पल होगा। जब मैग्नस ने जीत हासिल की तो मैंने सोचा कि मैं भारत को खिताब वापस लाने वाला व्यक्ति बनना चाहता हूं।
2017 में कहा था, सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनना चाहता हूं
उन्होंने कहा, मैंने 2017 में कहा था कि मैं सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनना चाहता हूं।
लिरेन की एक चूक को जीत में बदला
गुकेश ने बताया कि पहला गेम लिरेन से हारने के बाद आनंद ने उन्हें ढांढस बंधाया था। गुकेश और डिंग लिरेन के बीच 14वीं बाजी यानी खिताबी मुकाबला उतार-चढ़ाव भरा रहा। यह लिरेन की एकाग्रता में क्षणिक चूक थी जिससे ड्रॉ की ओर बढ़ रही बाजी का नतीजा निकला और जब ऐसा हुआ तो पूरा शतरंज जगत हैरान हो गया। खिलाड़ियों के पास बस एक रूक (हाथी) और एक बिशप (ऊंट) बचा था जिसे उन्होंने एक दूसरे को गंवाया। लिरेन ने 55वीं चाल में गलती की जब उन्होंने हाथी की अदला बदली की और गुकेश ने तुरंत इसका फायदा उठाया और अगली तीन बाजी में मुकाबला खत्म हो गया।
अंत में गुकेश के दो प्यादों के मुकाबले लिरेन के पास सिर्फ एक प्यादा बचा था और लिरेन ने अपने हथियार डाल दिए।
विश्वनाथन ने निखारा
गुकेश की यह जीत महान विश्वनाथन आनंद की बेजोड़ विरासत को आगे ले जाएगी। आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाले गुकेश दूसरे भारतीय हैं।
संयोग से 55 वर्षीय आनंद ने ही चेन्नई में अपनी शतरंज अकादमी में गुकेश को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चेन्नई से निकला शर्मीला किशोर दुनिया पर छा गया
डोमाराजू गुकेश की सफलता के पीछे उनकी मेहनत के साथ माता-पिता के त्याग का अहम योगदान रहा। महज एक वर्ष की उम्र में प्यादों से खेलने वाला चेन्नई का यह सितारा देखते-देखते दुनिया पर छा गया। गुकेश का जन्म 7 मई 2006 को चेन्नई में डा.रजनीकांत और पद्मा के घर हुआ था। पिता पेशे से आंख, नाक और गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हैं जबकि मां माइक्रो बायोलाजिस्ट हैं। व्यवहार में शर्मीले मुकेश सात साल की उम्र में शतरंज खेलने लगे थे। बेटे की रुचि को देखते हुए डा.रजनीकांत ने उन्हें खूब प्रेरित किया। खेल और पढ़ाई के बीच सामंजस्य बनाने में दिक्कत न हो, इसलिए चौथी कक्षा के बाद नियमित पढ़ाई से छूट दे दी। एक साक्षात्कार में डा.रजनीकांत ने बताया कि गुकेश ने प्रोफेशनल शतरंज खेलना शुरू करने के बाद से वार्षिक परीक्षा नहीं दी है। जब गुकेश ने शतरंज में बेहतर करना शुरू किया तो पेशे से डॉक्टर पिता को नौकरी छोड़नी पड़ी। दरअसल विदेश में टूर्नामेंट होने के कारण वे मरीजों को समय नहीं दे पाते थे, ऐसे में उन्होंने अपना क्लीनिक बंद कर दिया।
ऐसे चला सफलता का कारवां
– 2015 अंडर-9 एशियन स्कूल चेस चैंपियनशिप में विजेता बने गुकेश
– 2017 34वें कैप्पेल-ला-ग्रांडे- ओपन में इंटरनेशनल मास्टर बने
– 2018 अंडर-12 वर्ग में वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप का खिताब जीतने में सफल रहे
– 2019 12 साल, 7 महीने, 17 दिन की उम्र में दुनिया के दूसरे युवा बैंड मास्टर बने
– सितंबर 2023 में भारतीयों की टॉप-10 अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में आनंद को पीछे छोड़ा
– यूरोप में टूर्नामेंट के दौरान पैसों की बचत के लिए वे पिता के साथ एयरपोर्ट पर ही सो गए थे
– शतरंज की अंतरराष्ट्रीय रेटिंग में 2750 तक पहुंचने वाले वे दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी हैं
गुकेश को हार्दिक बधाई
गुकेश ने भारत को गौरवान्वित किया है। उनकी जीत ने शतरंज महाशक्ति के रूप में भारत की साख मजबूत की है।- द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति
अनुकरणीय
यह डी गुकेश की अद्वितीय प्रतिभा, कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय का परिणाम है। बधाई! – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
यह एक बड़ी उपलब्धि
18 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बनना छोटी उपलब्धि नहीं। जीत के बाद उन्हें जश्न मनाते देखना शानदार था।
-विश्वनाथ आनंद, महान शतरंज खिलाड़ी
अनंत संभावनाओं की दुनिया खोल दी
64 खानों के खेल में आपने अनंत संभावनाओं की दुनिया खोल दी है। बधाई हो डी गुकेश, सिर्फ 18 साल की उम्र में 18 वें विश्व चैंपियन बनने पर। – सचिन तेंदुलकर, महान क्रिकेटर































