ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया में लगभग 188 करोड़ लोगों को भोजन में पर्याप्त आयोडीन नहीं मिल पा रहा है। इनमें 24.1 करोड़ स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। इन सभी लोगों को आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर (आईडीडी) का खतरा है। इसके कारण घेंघा और हाइपोथायरॉइडिज्म जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
भारत के सॉल्ट कमिश्नर ऑफिस के मुताबिक, देश के लगभग 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर का खतरा है। 7 करोड़ से ज्यादा लोग घेंघा से और आयोडीन की कमी से होने वाले अन्य डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं।
आयोडीन एक ट्रेस मिनरल है, यानी ऐसा मिनरल जो शरीर को बहुत कम मात्रा में चाहिए। इसके बावजूद यह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। आयोडीन की कमी होने पर आईडीडी का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसा होने पर शरीर मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ाहट जैसे इशारे करता है। इन्हें पहचानना जरूरी है। सर्दियों का आयोडीन की कमी से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इस मौसम में आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के लक्षण बढ़ सकते हैं। असल में ठंड बढ़ने पर थायरॉइड ग्लैंड के फंक्शन पर असर पड़ता है, जिसके कारण घेंघा के लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
कैसे पहचानें आयोडीन की कमी
एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ. साकेत कांत कहते हैं कि हमारा शरीर हर मुश्किल में मदद के लिए कुछ इशारे करता है। कई बार हम इन्हें पहचान नहीं पाते हैं या फिर ये इतने कॉमन लक्षण होते हैं कि इग्नोर कर देते हैं। ऐसे मामलों में समस्या बड़ा रूप ले लेती है। फिर इलाज में ज्यादा मुश्किल होती है।
ये संकेत दिखें तो डॉक्टर से कंसल्ट करें
अगर आंखों और चेहरे पर सूजन हो गई है और कई दिन बीतने पर भी खत्म नहीं हो रही है तो इसका मतलब हो सकता है कि आयोडीन की कमी के कारण थायरॉइड को अपने कामकाज में मुश्किल हो रही है। आयोडीन का लेवल कम होने से शरीर का फ्लूइड बैलेंस बिगड़ जाता है। इससे आंखों और चेहरे पर सूजन हो जाती है।
अगर अक्सर गला बैठ जाता है या गले में गांठ सी दिखने लगती है तो ये घेंघा के लक्षण हो सकते हैं। इसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन हो जाती है, जो गांठ की तरह दिखती है और आवाज बदल जाती है। यह आयोडीन की कमी का इशारा है। डॉक्टर से तुरंत कंसल्ट करें।
हार्ट बीट स्लो
अगर अक्सर महसूस होता है कि आपकी हार्ट बीट स्लो हो रही है तो यह आयोडीन की कमी के कारण हो सकता है। हार्ट बीट मेंटेन करने में थायरॉइड ग्लैंड का बड़ा रोल होता है। अगर आयोडीन की कमी से थायरॉइड ग्लैंड प्रभावित होगी तो उसका असर हार्ट बीट पर भी पड़ेगा। ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
बेवजह मूड स्विंग्स
अगर बेवजह मूड स्विंग्स होते हैं और चिड़चिड़ाहट महसूस होती है तो ये आयोडीन की कमी का संकेत हो सकता है। आयोडीन की कमी के कारण ब्रेन के केमिकल्स में अस्थिरता पैदा होती है। अगर ऐसा हो रहा है तो डॉक्टर से कंसल्ट करिए।
हाथ-पैर में झनझनाहट
अगर अचानक बैठे-बैठे हाथ-पैर में झनझनाहट होने लगती है या ये सुन्न हो जाते हैं तो यह आयोडीन की कमी के कारण हो सकता है। असल में थायरॉइड हॉर्मोन कम होने के कारण नर्व फंक्शनिंग कमजोर हो जाती है। इसलिए झनझनाहट जैसे लक्षण दिखते हैं। ऐसा होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें।
महिलाओं के पीरियड्स में अनियमितता
आयोडीन की कमी के कारण महिलाओं के पीरियड्स में अनियमितता हो सकती है। मेंस्ट्रुअल फ्लो बहुत ज्यादा हो सकता है। यहां तक कि कंसीव करने में भी समस्या हो सकती है। थायरॉइड हॉर्मोन्स का रीप्रोडक्टिव हेल्थ में महत्वपूर्ण रोल होता है। ऐसा कुछ भी होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें।
आयोडीन की कमी से हो सकते हैं ये कॉम्प्लिकेशन
अगर भोजन में लगातार आयोडीन की कमी है तो शरीर पर्याप्त थायरॉइड हॉर्मोन नहीं बना सकता है। इसके कारण कई कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं। खासतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान गंभीर जोखिम पैदा हो सकते हैं।