ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली । भारत में हवा की गुणवत्ता में तेजी से सुधार हो रहा है। क्लाइमेट टेक फर्म रेसपाइर लिविंग साइंसेज के अनुसार 2019 से 2024 के बीच भारतीय शहरों ने हवा में मिलने वाले पीएम 2.5 दूषित कण को 27 फीसदी तक कम किया है। रिपोर्ट के अनुसार जो शहर नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनकैप) के तहत आते हैं। उन्होंने अकेले पीएम 2.5 कण को करीब 24 फीसदी तक कम किया है। रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी ने 76 प्रतिशत जबकि मुरादाबाद ने पीएम 2.5 दूषित कण को 58 फीसदी तक कम किया है। एनकैप के तहत आने वाले शहरों में दूषित कण पीएम 2.5 कम होना इसका संकेत है कि प्रदूषण से लड़ाई में लगातार सुधार हो रहा।
तमाम सुधारों के बावजूद समस्या गंभीर हालांकि तमाम सुधारों के बावजूद कई शहरों में प्रदूषण गंभीर समस्या भी बनकर उभरा। वर्ष 2024 में दिल्ली में प्रति क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 दूषित कण 107 माइक्रोग्राम था। इसी तरह असम के बर्निहाट में ये दर 127.3 माइक्रोग्राम थी।
वाराणसी से सीखना होगा
क्लाइमेट टेक फर्म रेसपाइर लिविंग साइंसेज के संस्थापक रौनक सुतारिया का कहना है कि भारत में हवा की 18 गुणवत्ता उम्मीद और सतर्कता से भरी है। वाराणसी जैसे शहरों ने पीएम 2.5 कण 76 फीसदी तक कम किया है। वहीं उत्तरी क्षेत्र जैसे दिल्ली एनसीआर, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में प्रदूषण लगातार गंभीर चुनौती बन रहा। जो शहर हवा में सुधार ला रहे, उनसे दूसरों को सीखना होगा। तभी प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सकेगा।
क्या है एनकैप
भारत ने स्वच्छ हवा के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनकैप) की शुरुआत 2019 में की थी। इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक हवा में मौजूद दूषित कण को 20 से 30 फीसदी तक कम करना था। बाद में इस लक्ष्य को 2026 तक बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया गया। केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 से 2025 तक देश के 131 शहरों की हवा को साफ करने के लिए कुल 19,711 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था।
एनकैप से कैसे साफ हुई हवा
– धूल और गंदगी को उड़ने से रोका जा रहा
– स्मोक गन का इस्तेमाल शुरू किया गया
– स्वच्छ ऊर्जा के प्रयोग पर जोर दिया गया
– लगाई जाने वाली आग कम हुई





























