ब्लिट्ज ब्यूरो
अहमदाबाद। गुजरात की सत्र अदालत ने एक महानगरीय अदालत के अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है। आदेश बालिग के मेंटीनेंस (भरण पोषण) से जुड़ा है। कोर्ट ने पिता को पढ़ाई कर रहे अपने दो वयस्क बेटों और अपनी पत्नी को घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
अहमदाबाद की महिला ने 2022 में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। उसने अपने पति से अपने और अपने बेटों के लिए भरण-पोषण की मांग की थी। पत्नी ने दावा किया था कि उसके पति ने बिना किसी वजह के उसे और बेटों को छोड़ दिया है।
पत्नी ने मांगा था 75 हजार मेंटीनेंस
पत्नी ने कोर्ट को यह तर्क दिया कि पति हर महीने 2 लाख रुपये से अधिक कमाता है और उसके पास तीन लग्जरी गाड़ियां हैं। इस आधार पर पत्नी ने भरण-पोषण के लिए प्रति माह 75,000 रुपये की मांग की। पति ने इस मांग का विरोध किया और कहा कि वह पहले से ही उसे 25,000 रुपये दे रहा है। उसके नाम पर 3 करोड़ रुपये के दो बड़े प्लॉट भी हैं, इसके अलावा उसकी खुद की आय भी है, जबकि उसकी घर-गृहस्थी की आय 75,000 रुपये है। उनके बेटे वयस्क हैं, और वे भी कमा सकते हैं। पति ने अधिनियम की धारा 20(1)(डी) का हवाला दिया, जो बच्चों के लिए भरण-पोषण की अनुमति देता है, लेकिन वयस्क बेटे के लिए नहीं, क्योंकि सीआरपीसी की धारा 125 इस पर रोक लगाती है।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने दिया था आदेश
फरवरी 2023 में, मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें व्यक्ति को अपनी पत्नी को भरण-पोषण के रूप में प्रति माह 28,000 रुपये देने का निर्देश दिया गया।