ब्लिट्ज ब्यूरो
बीजिंग। दुनिया भर में छिड़े टैरिफ युद्ध के बीच विभिन्न देशों में नए समीकरण बन रहे हैं। चीन ने सीमा विवाद को दरकिनार कर चौतरफा साझेदारी बढ़ाने पर भारत का साथ मांगा। चीन ने कहा कि हमें एक-दूसरे की राह में रोड़े अटकाने के बजाय साथ मिलकर काम करना चाहिए। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोहराया कि भारत उच्च शुल्क लगाने वाला देश है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछले वर्ष बैठक के बाद भारत तथा चीन के संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय तक चले सैन्य गतिरोध के पिछले वर्ष समाप्त होने के बाद सभी स्तरों पर उत्साहजनक नतीजे मिले। बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से वार्षिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पूछा गया कि दोनों देशों के बीच संबंधों में लंबे समय तक चले गतिरोध को समाप्त करने के बाद चीन द्विपक्षीय संबंधों को किस तरह देखता है। इस पर वांग ने कहा कि मोदी और जिनपिंग के बीच रूस के कजान शहर में सफल बैठक के बाद चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है।
वांग यी ने कहा कि शी और मोदी की कजान में हुई बैठक में संबंधों में सुधार के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया था। इसके बाद दोनों पक्षों ने नेताओं के बीच बनी आम समझ का ईमानदारी से पालन किया। जून, 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद दोनों देशों में संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।
चीन भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है
वांग ने कहा कि यदि चीन-भारत हाथ मिलाते हैं तो अंतरराष्ट्रीय मामलों में लोकतांत्रिक व्यवस्था और मजबूत ‘ग्लोबल साउथ की संभावना में सुधार होगा।
चीन, भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ताकि चीन-भारत संबंधों को मजबूत विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाया जा सके। वांग ने कहा, 2025 में चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ होगी।
चीन के साथ अनोखे संबंध
इससे पहले लंदन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ हमारे संबंध अनोखे हैं, क्योंकि दुनिया में हम दोनों देशों की आबादी दो अरब से अधिक है। हम ऐसा संबंध चाहते हैं, जिसमें हमारे हितों का सम्मान हो, संवेदनशीलता को पहचाना जाए।































