ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत अब बांग्लादेश, चीन और पाकिस्तान तीनों पर नकेल कसेगा। दरअसल, भारत गुपचुप तरीके से एक बेहद महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डे की शुरूआत करने के करीब है। यह अड्डा आंध्र प्रदेश के तट पर रामबिल्ली गांव के पास बन रहा है। यह विशाखापत्तनम में पूर्वी नौसेना कमान के मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। यह नौसैनिक बेस ‘प्रोजेक्ट वर्षा’ के तहत बनाया जा रहा है। इसके 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। भारत अपनी समुद्री हमले की क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसी कम से कम चार पनडुब्बियों को समुद्र में उतारने की योजना बना रहा है। जानते हैं क्या है ‘प्रोजेक्ट वर्षा’, जिससे सहमे हैं चीन और पाकिस्तान।
यह नौसैनिक बेस के तहत बनाया गया है। रामबिल्ली में भूमिगत सुरंगें और ठिकाने बनाए गए हैं। इन ठिकानों में भारत की परमाणु पनडुब्बियों (एसएसबीएनएस) को छिपाया जा सकता है। इसका मतलब है कि ये पनडुब्बियां बंगाल की खाड़ी में बिना किसी को पता चले आ-जा सकती हैं। दुश्मन के सैटेलाइट, खासकर चीन के सैटेलाइट भी इन्हें नहीं देख पाएंगे। फिर ये पनडुब्बियां मलक्का जलडमरूमध्य और उससे आगे गश्त के लिए जा सकती हैं।
भारत के लिए कितना जरूरी होगा
दरअसल, चीन ने बांग्लादेश को लालमोनिरहाट में एक हवाई अड्डा बनाने में मदद की पेशकश की है। लालमोनिरहाट बांग्लादेश के उत्तर-पश्चिम में है। यह भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण ‘सिलीगुड़ी कॉरिडोर’ के पास है, जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहते हैं। यह पतला सा इलाका भारत को उसके उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ता है। इसके चारों तरफ चार देश हैं – नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और चीन।
पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल और
सिक्कि म तक खतरा
अभी तक तो चीन का कोई भी जेट विमान भारत के पूर्वी इलाके में नहीं आया है, लेकिन इसकी संभावना भी चिंता पैदा करती है। अगर बांग्लादेश चीन को हवाई अड्डा बनाने की मंजूरी देता है तो इससे भारत की सुरक्षा को खतरा हो सकता है क्योंकि पूरा पूर्वोत्तर, सिक्कि म और पश्चिम बंगाल खतरे में आ जाएंगे। भारत की सुरक्षा चिंताएं पहले से ही बढ़ी हुई हैं क्योंकि चीन हिंद महासागर में अपनी ताकत बढ़ा रहा है और दक्षिण एशिया में कई प्रोजेक्ट कर रहा है। लालमोनिरहाट हवाई क्षेत्र बनने से स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके अलावा, पाकिस्तान भी बांग्लादेश के साथ दोस्ती बढ़ाने में लगा हुआ है।
‘प्रोजेक्ट वर्षा’ क्या है?
भारत 2026 तक आंध्र प्रदेश में अपना पहला समर्पित परमाणु पनडुब्बी अड्डा ‘आईएनएस वर्षा’ चालू करने जा रहा है। यह प्रोजेक्ट वर्षा का ही हिस्सा है। इसके साथ ही देश अपनी तीसरी परमाणु शक्ति–संपन्न पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन को भी जंगी बेड़े में उतारने की योजना बना रहा है, जिससे समुद्री सुरक्षा क्षमता को और मजबूती मिलेगी। यह एक गोपनीय नौसैनिक परियोजना है, जिसके तहत भारतीय नौसेना ‘आईएनएस वर्षा’ नाम की एक आधुनिक परमाणु पनडुब्बी अड्डा बना रही है।
प्रोजेक्ट वर्षा का मुख्य मकसद क्या
‘प्रोजेक्ट वर्षा’ का मुख्य मकसद बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारत की समुद्री हमलावर क्षमता बढ़ाना है। इसके साथ ही चीन की रणनीतिक गतिविधियों का जवाब देना भी अहम मकसद है। मुख्य रूप से परमाणु पनडुब्बियों की मेजबानी के लिए बनाए जाने के बावजूद, नया बेस भारतीय नौसेना के विस्तार के कारण अतिरिक्त नौसैनिक जहाजों को समायोजित कर सकता है।
पनडुब्बी का पता लगाना मुश्किल
परमाणु पनडुब्बियां किसी देश की नौसेना की सबसे महत्वपूर्ण संपत्तियों में से एक हैं, और उनके ठिकाने को गुप्त रखना महत्वपूर्ण है। जासूसी उपग्रह, आकाश में दुश्मन की नजर, सबसे गंभीर जोखिम पैदा करते हैं। ये उपग्रह बंदरगाहों में हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। एक परमाणु पनडुब्बी समुद्र में डूबी हुई महीनों बिता सकती है।