ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। कभी सुविधा का प्रतीक रहा प्लास्टिक, अब प्रकृति, स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। समुद्र की गहराइयों से लेकर माउंट एवरेस्ट की चोटियों तक और मां के गर्भ में पल रहे शिशु से लेकर समुद्री डॉल्फिन तक माइक्रोप्लास्टिक का असर अब हर जगह महसूस किया जा रहा है। हालिया एक अध्ययन में दावा किया गया है कि बच्चों के समय से पहले पैदा होने के पीछे प्लास्टिक प्रदूषण एक कारण हो सकता है। यही कारण है कि 2025 में इसकी भयावहता को देखते हुए इसे विश्व पर्यावरण दिवस की मुख्य थीम बनाया गया है।
सोसाइटी फॉर मैटरनल-फीटल मेडिसिन की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किए गए एक शोध में गर्भावस्था की जटिलताओं में प्लास्टिक प्रदूषण की भूमिका के बारे में बताया गया। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि माइक्रोप्लास्टिक के प्रदूषण और समय से पहले जन्म के बीच एक चौंकाने वाला संबंध है।
काफी काम किए जाने की जरूरत
शोधकर्ताओं के मुताबिक इस अध्ययन से इस बात पर नई चिंताएं पैदा हो गई हैं कि ये छोटे प्लास्टक कण मानव स्वास्थ्य को किस- किस तरह से प्रभावित कर सकते हैं। इस पर काफी काम किए जाने की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने पाया कि समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के प्लेसेंटा में माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक का स्तर पूर्ण अवधि के गर्भधारण की तुलना में काफी अधिक था।
175 प्लेसेंटा पर अध्ययन
अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में किए गए अध्ययन में 175 प्लेसेंटा पर अध्ययन किया गया। इनमें से 100 बच्चे पूर्ण-अवधि जन्म (औसतन 37.2 सप्ताह) और 75 समय से पहले जन्मे (औसतन 34 सप्ताह) थे। शोधकर्ताओं ने समय से पहले जन्मे प्लेसेंटा में ऊतक के प्रति ग्राम औसतन 203 माइक्रोग्राम प्लास्टिक पाया, जो पूर्ण-अवधि प्लेसेंटा में पाए जाने वाले 130 माइक्रोग्राम से 50% ज्यादा था।
डॉल्फिन की सांस में माइक्रोप्लास्टिक
अमेरिकी शोधकर्ताओं के दल ने हाल ही में एक अध्ययन में पहली बार डॉल्फिन की सांस में माइक्रोप्लास्टिक पाया । वैज्ञानिकों ने दो जगहों पर बॉटलनोज़ डॉल्फिन से सांस छोड़ते हुए हवा के नमूने एकत्र किए। फ्लोरिडा और लुइसियाना के करीब 11 बॉटलनोज डॉल्फिन की सांसों के सैंपल में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया। वहां की हवा में ही ये प्लास्टिक के बेहद छोटे कण थे। डॉल्फिन की सांस के नमूनों में पाए गए अधिकांश माइक्रोप्लास्टिक पॉलिएस्टर थे जिसका इस्तेमाल कपड़े बनाने के लिए किया जाता है। पॉलिएस्टर गर्म पानी में काफी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक छोड़ता है। दक्षिण कैरोलिना के कॉलेज ऑफ चार्ल्सटन में स्वास्थ्य विशेषज्ञ और शोधार्थी लेस्ली हार्ट के मुताबिक सांस के जरिए इंसानों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक जाने के कुछ मामले सामने आए हैं लेकिन वन्यजीवों पर इस विषय पर बहुत कम अध्ययन हुए हैं।



























