ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत में अब एयर कंडीशनर के तापमान को लेकर नए नियम आने वाले हैं। सरकार एसी के तापमान को 20 डिग्री सेल्सियस से कम और 28 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रखने पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यह जानकारी दी। यह नियम घरों और दफ्तरों, दोनों जगह इस्तेमाल होने वाले एसी पर लागू होगा। कई देशों में पहले से ही ऐसे नियम लागू हैं। अब भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस योजना के बारे में बताया है। नए नियमों के मुताबिक, एसी के लिए तापमान का एक नया स्टैंडर्ड लागू हो रहा है। एसी का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच तय किया जाएगा। इसका मतलब है कि एसी इसी रेंज के बीच में चलेगा। न 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे और न 28 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा। यह नियम घरों, कार्यालयों, मॉलों, होटलों और वाहनों सहित सभी क्षेत्रों में एयर कंडीशनर पर लागू होगा। वर्तमान में कई एसी 16 डिग्री सेल्सियस या 18 डिग्री सेल्सियस तक कम तापमान पर सेट किए जा सकते हैं। कुछ 30 डिग्री सेल्सियस तक जा सकते हैं। नया नियम इन सीमाओं को प्रतिबंधित कर देगा। सरकार एसी निर्माताओं के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि नए एसी में ये सेटिंग्स डिफॉल्ट रूप से आएं या पुराने एसी के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट जारी किए जा सकें।
सरकार एसी कूलिंग को क्यों
सीमित करना चाहती है?
इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। ये ऊर्जा संरक्षण, बिजली ग्रिड पर दबाव कम करने और स्वास्थ्य से जुड़े हैं।
ऊर्जा बचत और बिजली बिल में कमी
जब एसी को बहुत कम तापमान पर (जैसे 16-18°से.) चलाया जाता है तो यह बहुत अधिक बिजली की खपत करता है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) के अनुसार, एसी का तापमान सिर्फ 1 डिग्री बढ़ाने से लगभग 6% बिजली की बचत होती है। अगर लोग अपने एसी को 20से. की बजाय 24°से पर सेट करते हैं तो लगभग 24% बिजली की बचत हो सकती है। इस कदम से उपभोक्ताओं के बिजली बिल में कमी आएगी और राष्ट्रीय स्तर पर भी ऊर्जा की भारी बचत होगी।
बिजली ग्रिड पर दबाव कम करना
भारत में भीषण गर्मी के दौरान एसी का इस्तेमाल बहुत बढ़ जाता है। इससे बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाती है। एसी अकेले देश की कुल बिजली खपत का लगभग 20% (लगभग 50 गीगावाट) के लिए जिम्मेदार हैं।