ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां एक ओर प्रदेश के अस्पतालों को अपग्रेड कर रही है, वहीं भ्रष्टाचार पर सख्त रुख भी अपनाए हुए है। इसी कड़ी में कानपुर नगर के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ. सुबोध प्रकाश यादव को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में निलंबित कर दिया गया है। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के निर्देश पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी है। इस मामले में दो अन्य डॉक्टरों को भी निलंबित किया गया है। इसके साथ ही अन्य मामलों में भी कई कार्रवाई की गई है।
डॉ. सुबोध यादव साल 2003 में अलीगढ़ से स्थानांतरित होकर कानपुर आए थे। 2019 में पदोन्नति के बाद भी उन्हें कानपुर नगर में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर बनाए रखा गया। आरोप है कि डॉ. सुबोध ने सप्लायरों से सांठगांठ कर वित्तीय अनियमितताएं कीं और अपने पद का दुरुपयोग किया। सीबीआई जांच में सामने आया है कि नवम्बर 2024 में डॉ. सुबोध ने चीफ फार्मासिस्ट अवनीश कुमार शुक्ला, डॉ. वन्दन सिंह और वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ मिलकर जेएम फार्मा नामक फर्म के माध्यम से जेम पोर्टल और सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी कर 1.60 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान नियमविरुद्ध तरीके से किया। आरोप है कि इस प्रक्रिया में अधोमानक सामग्री की आपूर्ति कराई गई।
घोटाले का खुलासा
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी ने जांच कराई, जिसमें दोष सिद्ध होने पर डॉ. सुबोध को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं आरोपी चीफ फार्मासिस्ट और वरिष्ठ वित्त अधिकारी के खिलाफ भी जल्द विभागीय कार्रवाई की जाएगी। योगी सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मेडिकल पास कराने के बदले पैसे की मांग
उप्र पुलिस आरक्षी भर्ती प्रक्रिया के दौरान मथुरा में गठित मेडिकल पैनल पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। मेडिकल पास कराने के लिए अभ्यर्थियों से अवैध वसूली की गई। मामले में आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. हरि नारायण प्रभाकर (मथुरा) और डॉ. राहुल वाष्णेय (एटा) को निलंबित कर दिया गया है। इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है। जबकि बदायूं में तैनात डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव पर आशा चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी और वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। ये मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। जांच में दोषी पाए जाने के बाद उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
प्रमुख अधीक्षक पर गिरी गाज
इसी तरह वीरांगना अवंती महिला चिकित्सालय (डफरिन) की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रेनू पंत पर गंभीर अनियमितताओं और आदेशों की अवहेलना के आरोप लगे हैं। उपमुख्यमंत्री के आदेश पर उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। वहीं हमीरपुर में तैनात नेत्र सर्जन डॉ. अनिल कुमार सिंह ने रोगियों के इलाज में लापरवाही बरती। बार-बार मांगने के बावजूद उन्होंने स्पष्टीकरण नहीं दिया, जिस पर उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।































