ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। विधानसभा के मंडप में पिछले दिनों विधायकों को आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के फायदे और उसके उपयोग के तरीके बताने के लिए वर्कशॉप हुई। विशेषज्ञ के तौर पर आईआईटी कानपुर से डॉ हर्षित मिश्र व आशुतोष तिवारी आए थे पर माननीयों के सवालों में इतनी विविधता थी कि जवाब देने में विशेषज्ञों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। कुछ विधायक तो कमियां गिनाते-गिनाते यहां तक पूछ बैठे कि एआई हमें जनता से वोट कैसे दिलाएगा? आखिरकार संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना को उठकर कहना पड़ा कि एआई एक तकनीक है, जो आपके एडवांसमेंट के लिए है, भविष्यवक्ता नहीं।
लगभग दो घंटे की वर्कशॉप का फोकस विधायकों के विधायी कार्य, प्रश्न, राजनीतिक विषयों, विधेयकों को समझने आदि में एआई की उपयोगिता पर था। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने इस पर विस्तार से उदाहरणों के साथ प्रेजेंटेशन दिया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि जल्द ही हर विधानसभा का डैशबोर्ड बनाया जाएगा जिसमें उससे जुड़ा हर डेटा संबंधित जनप्रतिनिधि के टैब पर होगा। सरकार, समाज व अन्य माध्यमों से इसमें जानकारी भी अपडेट की जाएगी। इसके अलावा एआई कैमरों के जरिए साल भर के सदस्य के भाषण, उसके विषय आदि की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकेगी।
एआई पब्लिक का मूड कैसे समझेगा
प्रेजेंटेशन के बाद विधायकों के सवाल शुरू हुए। उन्नाव के विधायक अनिल सिंह का कहना था कि हम लोगों को नासा का इंजीनियर तो बनना नहीं है, वोट मांगने ही जाना है। अगर इसमें डेटा चोरी हो गया तो वोट कैसे मांग पाएंगे? एक विधायक ने प्रेजेंटेशन में बताए गए एक एप की नजीर देकर पूछा कि कहा जा रहा है कि यह मैसेज के जरिए पब्लिक मूड व सेंटीमेंट को एनालाइज कर लेगा। आखिर, यह सेंटीमेंट कैसे पढ़ सकता है? विधायक पल्लवी पटेल ने भी कहा कि एआई मूड व किसी समय विशेष में फीड किए गए डेटा के उस समय समय के ऑब्जेक्टिव को नहीं पढ़ सकता, ऐसे में क्या यह वह रिजल्ट दे पाएगा जो जनप्रतिनिधि के लिए आवश्यक है।
एआई ठग है, इधर का उधर करता है
विधायक अभय सिंह ने तो एआई को ठग तक कह डाला। उन्होंने कहा कि यह बस इनका डेटा उनको और उनका डेटा किसी और को बताता है, यह तो ठग है। एक दिन मैंने इससे कुंडली पूछी तो कुछ और बताया। पंडित की जानकारी के आधार पर इस पर सवाल किया तो पलट गया। गूगल मैप गाड़ी पुल से गिरा रहा है। यह कहीं और न गिरा दे। खुद को कब यह अपग्रेड करेगा कि बता सके कि इस सड़क की जगह कौन-सी सड़क बनाएं कि वोट ज्यादा मिलेगा। अमित सिंह चौहान का कहना था कि उन्होंने अपने पिता मुन्ना सिंह चौहान के बारे में जानकारी ली तो इसमें डेटा ही गलत था। इस पर स्पीकर ने चुटकी ली कि हो सकता है आपके पिताजी ने आपको वह जानकारी न दी हो। एक विधायक ने कहा कि इससे क्रिटिकल थिंकिंग प्रभावित होगी और काग्निजेबल मसल कमजोर होगी। इस पर हंसते हुए महाना ने कहा कि मसल्स के लिए एक्सरसाइज करिए।
डेटा की सुरक्षा की चिंता, कानून की मांग
विधायक सचिन यादव, कमाल अख्तर, शशांक त्रिवेदी सहित कई अन्य सदस्यों ने एआई से मिलने वाली जानकारी की गुणवत्ता व शुद्धता का सवाल उठाया। उनका कहना था कि अगर डाटा ही गलत या अधूरा होगा तो उसका सही उपयोग कैसे हो पाएगा। कमाल अख्तर ने कहा कि एआई का उपयोग कर किसी को भी बदनाम किया जा सकता है। राजनीतिक व्यक्ति का करियर खत्म हो सकता है। मंत्री असीम अरुण ने भी एआई के आपराधिक दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून बनाने की वकालत की।































