ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अगर आप सैलरीड क्लास हैं और आप टैक्स भरते हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। बता दें कि बीते दिनों संसद ने इनकम टैक्स (नंबर 2) बिल, 2025 पास कर दिया है, जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा और पुराने 1961 वाले इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा। नए सिस्टम में टैक्स स्लैब आसान किए गए हैं, रिबेट बढ़ाई गई है और नियमों को पहले से ज्यादा साफ-सुथरा बनाया गया है। नियम के तहत, पहली ₹4 लाख की कमाई पर कोई टैक्स नहीं और ₹12 लाख तक की आय पर भी बड़ी छूट का फायदा मिलेगा। सरकार का कहना है कि इससे टैक्स फाइलिंग का झंझट घटेगा और लोगों की जेब में ज्यादा पैसा बचेगा।
क्या है प्रावधान
न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 के प्रमुख प्रावधानों में सैलरीड क्लास और मिडिल क्लास के टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत दी गई है। नई टैक्स व्यवस्था में ₹4 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। वहीं, ₹4-8 लाख पर 5%, ₹8-12 लाख पर 10% और ₹12-16 लाख पर 15% टैक्स दर लागू होगी।
साथ ही, सेक्शन 87 ए के तहत ₹12 लाख तक की आय वालों को ₹60,000 तक की पूरी कर रिबेट मिलेगी, जिससे ₹75,000 के मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) को जोड़कर ₹12.75 लाख तक की वेतन आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
पुराने कानून के जटिल प्रावधानों को सरल बनाते हुए सेक्शन की संख्या 819 से घटाकर 536 कर दी गई है और ‘टैक्स ईयर’ की नई अवधारणा लागू की गई है।
इसके अलावा, फेसलेस डिजिटल असेसमेंट, अग्रिम नोटिस के साथ कार्यवाही और टीडीएस रिफंड जल्दी देने की व्यवस्था भी की गई है। यह नया कानून 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा और वित्त वर्ष 2025-26 से लागू होगा।
टैक्स छूट
नई टैक्स व्यवस्था में सेक्शन 87ए के तहत अब ₹12 लाख तक की आय वालों को ₹60,000 तक की पूरी कर रिबेट मिलेगी। इसका मतलब है कि ₹75,000 के स्टैंडर्ड डिडक्शन को जोड़कर ₹12.75 लाख तक की वेतन आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। पहले नई टैक्स व्यवस्था में यह रिबेट सिर्फ ₹7 लाख तक की आय पर मिलती थी, जिसे अब काफी बढ़ा दिया गया है। वहीं, पुरानी टैक्स व्यवस्था में सेक्शन 87A की मौजूदा सीमा ₹5 लाख और रिबेट ₹12,500 पहले की तरह जारी रहेगी। बता दें कि कि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) जैसी स्पेशल इनकम पर यह रिबेट लागू नहीं होगी।
टैक्स स्लैब का सरलीकरण
नई टैक्स व्यवस्था के तहत, प्रस्तावित टैक्स स्लैब में ₹4,00,001 से ₹8 लाख तक की आय पर 5%, ₹8,00,001 से ₹12 लाख तक की आय पर 10% और ₹12,00,001 से ₹16 लाख तक की आय पर 15% टैक्स लगेगा। ₹16,00,001 से ₹20 लाख तक की आय पर 20% टैक्स लगेगा, जबकि ₹24 लाख तक की आय पर 25% टैक्स लगेगा। ₹24 लाख से अधिक की आय पर 30% तक टैक्स लगेगा। इन स्लैब का उद्देश्य कर कैलकुलेशन को सरल बनाना और हायर मार्जिनल रेट के प्रभाव को कम करना है।
प्रॉपर्टी टैक्स
धारा 20 प्रॉपर्टी टैक्स के टैक्सेशन को स्पष्ट करती है, जहां स्वामित्व वाली इमारतों या भूमि से होने वाली इनकम को ‘: ‘इनकम फॉर हाउस प्रॉपर्टी’ के अंतर्गत टैक्स योग्य माना जाता है। सालाना वैल्यू अब अनुमानित या वास्तविक प्राप्त किराए में से जो अधिक हो, वह होगा। हालांकि, व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली संपत्तियों पर कारोबारी इनकम के अंतर्गत टैक्स लगाया जाता है। यह संशोधन प्रॉपर्टी टैक्सेशन में स्पष्टता और निष्पक्षता प्रदान करने का प्रयास करता है।
यूपीएस एलाइनमेंट
यह बिल इंटीग्रेटेड पेंशन योजना (यूपीएस) को नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के साथ टैक्सेशन के लिए भी एलाइन करता है। रिटायरमेंट पर पेंशन राशि का 60% तक टैक्स फ्री है। इसके अलावा, कर्मचारी और नियोक्ता के अंशदान पर धारा 80 सीसीडी (1) और 80 सीसीडी (2) के तहत कर कटौती का लाभ मिलता रहेगा। इसका उद्देश्य यूपीएस और एनपीएस के बीच टैक्स व्यवस्था में असमानताओं को दूर करना और अधिक रिटायरमेंट योजना को प्रोत्साहित करना है।
– इनकम टैक्स (नंबर 2) बिल, 2025 जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा और पुराने 1961 वाले इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा
– नई टैक्स व्यवस्था में सेक्शन 87 ए के तहत अब 12 लाख तक की आय वालों को 60,000 तक रिबेट मिलेगी