ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा है कि भारत का टार्गेट ग्लोबल ग्रीन हाइड्रोजन की लगभग 10% मांग को पूरा करना है। ग्रीन एनर्जी की ग्लोबल डिमांड के साल 2030 तक 10 करोड़ मीट्रिक टन से अधिक होने की उम्मीद है।
नाइक ने फिक्क ी ग्रीन हाइड्रोजन समिट 2025 में कहा कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत 19 कंपनियों को सालाना 8,62,000 टन प्रोडक्शन कैपेसिटी के टार्गेट दिए जा चुके हैं और ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन टार्गेट्स की दिशा में काफी प्रगति भी हुई है।
ग्लोबल हब बनेगा भारत
सरकार ने 15 कंपनियों को 3,000 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइजर मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी भी प्रदान की है। नाइक ने कहा कि हम भारत को न केवल एक प्रमुख प्रोड्यूसर, बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन एक्सपोर्ट का एक ग्लोबल हब भी बनाना चाहते हैं। उन्होंने देश को एक भरोसेमंद एक्सपोर्टर के रूप में स्थापित करने की रणनीति का भी जिक्र किया।
5 साल बाद कितना होगा प्रोडक्शन
साल 2030 तक नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य देश में लगभग 125 गीगावाट की रिनीवेबल ग्रीन एनर्जी कैपेसिटी के साथ सालाना कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन कैपेसिटी डेवलप करना है। वहीं कुल आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश और 6 लाख लोगों को नौकरी देने का भी लक्ष्य है।
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत ग्रीन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन बढ़ेगा तो उससे जीवाश्म ईंन्धन के आयात में 1 लाख करोड़ रु से अधिक की कमी आने की उम्मीद है। साथ ही सालाना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी आएगी। ग्लोबल ग्रीन और क्लीन हाइड्रोजन मार्केट कीमतों में कमी के कारण प्रगति कर रहा है।