ब्लिट्ज ब्यूरो
कानपुर। पढ़ना जितना आसान है, पढ़ाना उतना ही कठिन है। इस समस्या को सुलझाने और भविष्य में बढ़िया लेक्चरर, प्रोफेसर तैयार करने के मकसद से आईआईटी, कानपुर ने एक अनोखी पहल की है। इसमें पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी स्कॉलरों को पढ़ाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। काफी पीएचडी स्कॉलर भविष्य में आईआईटी या दूसरे उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाएंगे। दो दिनों की कार्यशाला में उन्हें पढ़ाने के तौर-तरीकों और बारीकियों से अवगत करवाया गया।
देश में यह अपने किस्म का पहला प्रयोग है। भविष्य में इसका विस्तार भी होगा। जनवरी 2025 में आईआईटी कानपुर में सेंटर फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड टीचिंग एक्सिलेंस सेंटर के संस्थापक और प्रभारी प्रोफेसर मनोज हरबोला ने बताया कि आईआईटी कानपुर में पीजी और पीएचडी स्कॉलर शैक्षणिक सहायक (टीचिंग असिस्टेंट) के तौर पर काम करते हैं।
ये लैब में अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं और प्रयोग भी कराते हैं लेकिन समस्या ये है कि इन्हें पढ़ाने का कोई अनुभव नहीं होता और न ही किसी प्रकार का प्रशिक्षण मिलता है। ये अपने जूनियर छात्रों की समस्याएं भी नहीं समझ पाते।