ब्लिट्ज ब्यूरो
कानपुर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय लेदर उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले ने कानपुर के निर्यातकों को बड़ा झटका दिया है। इस टैरिफ के खिलाफ अब शहर के लेदर कारोबारियों ने अमेरिका संग व्यापार सस्पेंड करने का निर्णय लिया है। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट (सीएलई) से जुड़े अधिकतर कारोबारियों ने एकजुट होकर घोषणा है कि अब वे अमेरिकी बाजार पर निर्भर नहीं रहेंगे और अफ्रीकी व यूरोपीय देशों के साथ-साथ भारतीय बाजारों की ओर रुख करेंगे।
अमेरिका संग बिजनेस बंद करेंगे
सीएलई के चेयरमैन आर.के. जालान ने कहा कि जिन कारोबारियों का सालाना कारोबार 20 करोड़ रुपये से अधिक है, वे अमेरिका संग व्यापार को बंद करने का मन बना चुके हैं। उनके अनुसार अमेरिकी ग्राहक 20 से 25 प्रतिशत छूट की मांग कर रहे हैं, लेकिन इतना घाटा देना किसी भी व्यापारी के लिए संभव नहीं है। इसी तरह सीएलई के क्षेत्रीय अध्यक्ष असद इराकी ने कहा कि 50 प्रतिशत टैरिफ कहीं से भी उचित नहीं है। निर्यातक अब मजबूरी में नए देशों की ओर देखेंगे।
हर साल हजारों करोड़ का कारोबार
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि अमेरिका संग कानपुर का हर साल हजारों करोड़ रुपये का कारोबार होता रहा है। इसमें लेदर सबसे बड़ा उत्पाद है। उन्होंने कहा कि औसतन हर साल करीब एक हजार करोड़ रुपये का निर्यात अमेरिका को किया जाता है लेकिन टैरिफ लागू होने के बाद यह कारोबार पूरी तरह से संकट में पड़ गया है।
नए बाजारों की तलाश करनी पड़ेगी
लेदर कारोबारी जावेद इकबाल का कहना है कि 50 प्रतिशत टैरिफ की दशा में कारोबार करना असंभव जैसा है। इस वजह से अब नए बाजारों की तलाश करनी ही पड़ेगी। उनका कहना है कि अफ्रीकी और यूरोपीय देशों में भारतीय लेदर उत्पादों की मांग अच्छी है, इसलिए आने वाले समय में कारोबार उसी दिशा में बढ़ेगा।
संकट से आएगा नया अवसर
कानपुर के लेदर कारोबारियों का मानना है कि यह संकट ही उनके लिए नए अवसर लेकर आएगा।
अफ्रीका, यूरोप और भारत के घरेलू बाजारों में मांग अच्छी है। अगर निर्यातक सही रणनीति अपनाएं तो आने वाले सालों में अमेरिकी नुकसान की भरपाई आसानी से हो सकती है।
साल दर साल बढ़ा आंकड़ा
2020-21: 300 करोड़ रुपये
2021-22: 400 करोड़ रुपये
2022-23: 600 करोड़ रुपये
2023-24: 800 करोड़ रुपये
2024-25: 1000 करोड़ रुपये
इन आंकड़ों से साफ है कि बीते पांच सालों में निर्यात लगातार बढ़ा है, लेकिन अब 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के बाद इस कारोबार पर ताला लगने जैसा खतरा मंडरा रहा है।