ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली।भारत की वायु रक्षा क्षमता को एक बड़ा अपग्रेड मिलने वाला है, देश के पहले स्वदेशी वीएचएफ रडार को अब इस तरह बनाया जा रहा है कि यह स्टील्थ फाइटर जेट्स को 500 किलोमीटर की दूरी से पहचान सकता है। इस रडार को इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के सहयोग से बनाने का काम किया है।
पहले से ज्यादा ताकतवर
वीएचएफ रडार की बात करें तो ये शुरुआत में ये केवल 400 किलोमीटर तक ही दुश्मन के विमानों और टारगेट्स को पकड़ सकता था, लेकिन अपग्रेड के बाद अब यह 500 किलोमीटर की दूरी तक किसी भी फाइटर जेट या अन्य हवाई प्लेटफॉर्म को ट्रैक कर सकता है। यह अपग्रेड भारत की अर्ली वार्निंग और सर्विलांस क्षमता को काफी मजबूत बना देगा जिससे पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश के फाइटर जेट को हमारी सीमा में घुसने से पहले ही ट्रैक कर लिया जाएगा।
कैसे काम करता है रडार?
यह रडार वीएचएफ बैंड (30-300 एमएचजेड) में काम करता है। स्टील्थ एयरक्राफ्ट जैसे अमेरिकी एफ-35 लाइटिंग II और आने वाले छठी जनरेशन के फाइटर जेट्स को आमतौर पर हाई-फ्रीक्वेंसी रडार पकड़ नहीं पाते हैं लेकिन वीएचएफ बैंड की लंबी वेवलेंथ स्टील्थ डिजाइन और रडार-एब्जॉर्बिंग मटेरियल को बेअसर कर देती है। यानी यह रडार उन विमानों को भी पहचान सकता है, जो खास तौर पर रडार से बचने के लिए बनाए गए हैं।
खासियत
वीएचएफ रडार की मदद से 500 किलोमीटर की रेंज से आने वाले फाइटर जेट, मिसाइल या कोई अन्य एयरक्राफ्ट को आने से रोकता है, साथ ही ये रडार आधुनिक स्टील्थ तकनीक से लैस दुश्मन के विमानों को चुनौती देने का काम करता है और पूरी तरह स्वदेशी टेक्नोलॉजी से बना यह रडार भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को और मजबूत करता है।
वायु रक्षा नेटवर्क में बड़ी भूमिका
यह नया वीएचएफ रडार भारत की मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम का अहम हिस्सा बनेगा। इसे लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों और अन्य आधुनिक सेंसरों के साथ जोड़ा जाएगा। इससे भारत को न सिर्फ सीमा पर बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भी वायु सुरक्षा के मामले में रणनीतिक बढ़त मिलेगी।