ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। विदेशी बाजारों से बेहतर मांग के चलते इस वित्त वर्ष के दौरान देश से चावल निर्यात मात्रा के लिहाज से 10 फीसदी से अधिक बढ़ने की संभावना है। 2024-25 में 12.95 अरब डॉलर मूल्य के 2.01 करोड़ टन चावल का निर्यात किया गया था। यह 172 से अधिक देशों को भेजा गया था। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) चेयरमैन अभिषेक देव ने कहा, इस वित्त वर्ष में मूल्य के लिहाज से भी निर्यात बढ़ेगा। देव ने चावल की विभिन्न किस्मों के साथ चावल आधारित प्रसंस्कृत उत्पादों जैसे राइस क्रैकर्स के निर्यात को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। सरकार ने 26 देशों की पहचान की है, जो वर्तमान में भारत से बहुत कम मात्रा में चावल खरीदते हैं। इन देशों में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। हम भारतीय चावल की किस्मों को बढ़ावा देने के लिए इन 26 देशों में प्रतिनिधिमंडल भेज रहे हैं।
सितंबर में निर्यात मूल्य 33.18 फीसदी बढ़ा
सितंबर में चावल का निर्यात मूल्य 33.18 फीसदी बढ़कर 92.5 करोड़ डॉलर हो गया। अप्रैल-सितंबर के दौरान यह 10 फीसदी बढ़कर 5.63 अरब डॉलर हो गया। भारत दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादकों और निर्यातकों में से एक है।
भारत ने 2024-25 में लगभग 4.7 करोड़ हेक्टेयर से लगभग 15 करोड़ टन चावल का उत्पादन किया, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 28 फीसदी है। उन्नत बीज किस्मों, बेहतर कृषि पद्धतियों और विस्तारित सिंचाई कवरेज के कारण औसत पैदावार 2014-15 में 2.72 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2024-25 में लगभग 3.2 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है।




























