ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। राजधानी में दो दिवसीय भारत अतंरराष्ट्रीय चावल सम्मेलन (बीआईआरसी) का आयोजन भारत मंडपम में हुआ। यह सम्मेलन भारत के कृषि और निर्यात क्षेत्र के लिए यह महत्वपूर्ण अवसर था । इसका आयोजन एपीडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और अन्य सरकारी व उद्योग निकायों के सहयोग से किया गया।
सम्मेलन में भारत और दुनियाभर से कम से कम 7800 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसमें वैश्विक खरीदार, निर्यातक, नीति निर्माता और तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हुए। उद्घाटन समारोह में भारत की पहली कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित चावल छंटाई प्रणाली का लाइव प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर 17 भारतीय किसानों को अतंरराष्ट्रीय आयातकों द्वारा सम्मानित भी किया गया, जिन्होंने वैश्विक चावल व्यापार में भारत की भूमिका बढ़ाने में अहम योगदान दिया। कार्यक्रम में चावल उत्पादन और प्रसंस्करण को अधिक कुशल और सटीक बनाने वाली मशीनरी और तकनीकी समाधानों का प्रदर्शन भी हुआ। सम्मेलन में 3000 करोड़ रुपये से अधिक के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें अकेले बिहार की निजी कंपनियों के साथ 2200 करोड़ रुपये से अधिक के समझौते शामिल हैं, जो खासतौर पर कतरनी चावल जैसी जीआई किस्मों से संबंधित हैं। भारत का लक्ष्य इस सम्मेलन के माध्यम से वैश्विक चावल व्यापार के 1.8 लाख करोड़ रुपये के बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना है। अनुमान है कि इस साल कुल 25,000 करोड़ रुपये के सौदे हो सकते हैं। सम्मेलन में 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। भारतीय चावल निर्यातक महासंघ (आईआरईएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रेम गर्ग ने कहा कि किसान इस सम्मेलन की सफलता की नींव हैं। एआई संचालित छंटाई और सटीक प्रसंस्करण जैसी तकनीक के साथ हम कृषि के नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। बीआईआरसी 2025 नवाचार, व्यापार और स्थिरता को जोड़ने का मंच है। सम्मेलन में देशभर के कई प्रतिष्ठित किसानों को सम्मानित किया गया।




























