ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इसरो आने वाले महीनों में काम की सबसे तेज रफ्तार पकड़ने वाला है। एजेंसी इस फाइनेंशियल ईयर के खत्म होने से पहले सात और सेटेलाइट लॉन्च करेगी। यह जानकारी इसरो के चेयरमैन वी नारायणन ने दी। उन्होंने बताया कि इन मिशनों में एक कमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट, कई पीएसएलवीऔर जीएस एलवी उड़ानें शामिल होंगी।
इसमें सबसे खास एक पीएसएलवी होगा। इसे पहली बार पूरी तरह भारतीय इंडस्ट्री ने तैयार किया है। इसरो अपने स्पेसक्राफ्ट प्रोडक्शन को भी अगले तीन साल में तीन गुना तक बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।
नारायणन ने कहा कि सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है। यह मिशन चांद से सैंपल वापस लाने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत का अब तक का सबसे जटिल चंद्र अभियान होगा। इसे 2028 में लॉन्च करने का लक्ष्य है। इसी के साथ जापान की स्पेस एजेंसी जाक्सा भी काम कर रही है। वह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ की खोज के लिए ल्यूपेक्स मिशन पर काम कर रहा है।
2035 तक बनेगा भारतीय स्पेस स्टेशन
इसरो भारतीय स्पेस स्टेशन पर भी तेजी से काम कर रहा है। इसका पहला मॉड्यूल 2028 में पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। पूरा प्रोजेक्ट 2035 तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद भारत, अमेरिका और चीन के बाद स्पेस स्टेशन संचालित करने वाली तीसरी बड़ी ताकत बन जाएगा।
गगनयान को लेकर भी नारायणन ने साफ किया कि 2027 की तारीख वही है। उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। 2025 वाली तारीख अनक्रूड यानी बिना इंसान वाली टेस्ट उड़ानों की थी। तीन अनक्रूड मिशनों के बाद 2027 में भारतीय अंतरिक्ष यात्री पहली बार अंतरिक्ष यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को 2040 तक भारतीयों को चांद पर भेजने और सुरक्षित वापस लाने का लक्ष्य भी सौंपा है।
स्पेस इकोनॉमी में तेजी से बढ़ती ताकत
भारत की स्पेस इकोनॉमी भी तेजी से बढ़ रही है। फिलहाल इसका आकार करीब 8.2 बिलियन डॉलर है। अगले कुछ सालों में इसके 44 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। दुनिया की स्पेस इकोनॉमी भी तेजी से फैल रही है। 2035 तक इसके 1.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इसरो का लक्ष्य है कि भारत की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत तक पहुंच जाए।
स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स की भागीदारी भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। 2020 के रिफॉर्म्स के बाद अब 450 से ज्यादा उद्योग और 330 स्टार्टअप भारत के स्पेस इकोसिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं।































