ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। रोडवेज बसों की कमान संभालने में महिलाएं आगे हैं, पुरुष पीछे हैं। यह हम नहीं कह रहे, आंकड़े बता रहे हैं। रोडवेज में संविदाकर्मियों की इस वर्ष दो चरणों में हुई भर्तियों में 49 प्रतिशत महिलाएं कंडक्टर बनी हैं, लेकिन संविदा चालक बनने के लिए सिर्फ 34 फीसदी पुरुष भर्ती हुए ।
रोडवेज में चालक व परिचालकों की भर्ती संविदा पर हो रही है। लखनऊ परिक्षेत्र में इसके लिए इस वर्ष दो रोजगार मेले लग चुके हैं। कमता बस अड्डे पर पुरुषों के लिए संविदा चालक की भर्ती बीती जुलाई और एक व दो दिसंबर को आयोजित की गई। इन दो चरणों में हुई भर्तियों में पुरुषों की भर्ती 34 प्रतिशत ही दर्ज की गई है।
पहली भर्ती में 204 पदों पर 75 और दूसरी भर्ती में 120 पदों पर 36 संविदा चालक भर्ती हुए। दोनों भर्तियों में कुल 324 पदों के सापेक्ष सिर्फ 111 पुरुष ही संविदा चालक बनने को तैयार हुए हैं, जबकि महिलाओं के लिए संविदा परिचालकों की हुई दो भर्तियों में 49 प्रतिशत महिलाएं भर्ती हुई हैं। यहां पहली व दूसरी भर्ती में क्रमशः पदों की संख्या 125 एवं 69 थी, जिस पर 65 व 30 महिलाएं भर्ती हुई हैं।
इतनी है तनख्वाह, भत्ते व सुविधाएं
रोडवेज में संविदा चालकों व परिचालकों को 2.06 प्रति किमी की दर से भुगतान होता है। भत्ते भी मिलते हैं, जिन्हें मिलाकर 18,000 रुपये तनख्वाह हो जाती है। एक करोड़ रुपये का इंश्योरेंस, दुर्घटना में मृत्यु होने पर 7.50 लाख रुपये, घायल होने पर तत्काल 10,000 रुपये की सहायता, गंभीर घायल होने पर 25,000 रुपये मिलते हैं। साथ ही पांच निशुल्क यात्रा पास परिजनों के लिए दिए जाते हैं।
पुरुषों का रुझान इसलिए कम
पुरुषों में संविदा चालक बनने को लेकर कम रुझान के पीछे कई वजहें हैं। अधिकारियों के मुताबिक, सहालग चल रही है, इसलिए ड्राइविंग के लिए पुरुष कम आ रहे हैं। वहीं, सूत्र बताते हैं कि प्राइवेट बसों में 20-25 हजार रुपये तनख्वाह मिल जाती है।































