ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। दो दशक पहले तत्कालीन मुलायम सरकार द्वारा जोर-शोर से लागू की गई इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के तहत अब तक अधूरी 28 परियोजनाओं के पूरा होने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने परियोजनाओं को पूरा करने के लिए संबंधित विकासकर्ताओं को तमाम सहूलियतें देने का निर्णय किया है।
परियोजनाओं के लिए न्यूनतम 25 एकड़ भूमि जुटाने की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए सरकार ने 12.50 एकड़ पर भी इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करने की छूट दे दी है।
विकासकर्ताओं को अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तीन से पांच वर्ष की मोहलत मिलेगी। हालांकि, इसके लिए विकासकर्ता को 80 हजार रुपये प्रति एकड़ समय विस्तार शुल्क देना होगा।
वर्ष 2005 में तत्कालीन मुलायम सरकार ने न्यूनतम 25 से अधिकतम 500 एकड़ भूमि पर इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करने की नीति लागू की थी। तमाम तरह की छूट देने के साथ ही राज्य में अरबों रुपये के निवेश और बड़े पैमाने पर आवासीय मांग के पूरा होने का दावा नीति के तहत किया गया। नीति के तहत विकासकर्ताओं ने लखनऊ, कानपुर, आगरा, मथुरा-वृंदावन, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद में 18 टाउनशिप विकसित करने के प्रस्ताव दिए।
मुलायम सरकार के बाद मायावती और फिर अखिलेश यादव की सरकार के दौरान परियोजना के तहत कुछ खास काम नहीं हुआ। वर्ष 2014 में अखिलेश सरकार ने नीति पुनरीक्षित की तो मुरादाबाद, मेरठ, प्रयागराज आदि शहरों में भी विकासकर्ताओं ने इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करने संबंधी प्रस्ताव दिए।
गौर करने की बात है कि नीति के तहत आए कुल 40 टाउनशिप के प्रस्तावों में से सिर्फ पांच टाउनशिप का कार्य ही पूरा हुआ। सात टाउनशिप के प्रस्ताव पर कुछ नहीं हुआ, जबकि शेष 28 टाउनशिप वर्षों से विभिन्न स्तरों पर अटकी हैं।
कैबिनेट के निर्णय के संबंध में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि इंटीग्रेटेड टाउनशिप की स्वीकृत डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को संशोधित करने व परियोजना की अवधि बढ़ाने की नीति तय की गई है।
खन्ना ने कहा कि तय की गई नीति से अधूरी आवासीय परियोजनाएं पूरी हो सकेंगी, जिससे सुनियोजित विकास के साथ ही आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। शहरों में आवासीय मांग कुछ हद पूरी होगी। संबंधित शासनादेश जारी होने की तिथि से नीति प्रभावी होगी।
उल्लेखनीय है कि मुलायम सरकार की हाईटेक टाउनशिप की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार पहले ही विकासकर्ताओं को तमाम सहूलियतें दे चुकी है।































