ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है। पहाड़ों में बर्फबारी हो रही है और मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं चलने लगी हैं। तापमान कम होने से ठिठुरन महसूस होती है, हाथ-पैर सुन्न पड़ने लगते हैं।
यही ठंड हाइपोथर्मिया नाम की गंभीर मेडिकल कंडीशन में बदल सकती है, जो इग्नोर किए जाने पर जानलेवा भी हो सकती है। एनवायरनमेंट का तापमान कम होने से बॉडी टेम्परेचर तेजी से गिरने लगता है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो कई बार शरीर अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता और कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
‘थिंक ग्लोबल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ठंड और हाइपोथर्मिया से हर साल लगभग 20,000 लोगों की मौत होती है। वहीं ‘द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ’ (2021) की एक स्टडी के मुताबिक, देश में हर साल करीब 6.5 लाख मौतें ठंड के कारण होती हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, अमेरिका में हाइपोथर्मिया से हर साल लगभग 700 से 1500 लोगों की मौत होती है।
सवाल : हाइपोथर्मिया क्या होता है?
जवाब : यह एक लाइफ थ्रेटनिंग इमरजेंसी कंडीशन है। इसमें बॉडी टेम्परेचर, शरीर के सामान्य तापमान 35°C (98.6 फॉरेनहाइट) से नीचे चला जाता है, जिसके कारण शरीर सामान्य रूप से फंक्शन नहीं कर पाता है। बॉडी पार्ट्स धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं।
सवाल : हाइपोथर्मिया क्यों होता है?
जवाब : ठंडे मौसम, हवा या पानी के संपर्क में आने से शरीर अपनी गर्मी तेजी से खोता है। दरअसल, शरीर की 90% गर्मी त्वचा और बाकी सांस के जरिए निकलती है। ठंडी हवा या नमी के संपर्क में यह प्रक्रिया और तेज हो जाती है। अगर कोई व्यक्ति ठंडे पानी में है, तो उसका शरीर हवा की तुलना में 25 गुना तेजी से अपनी गर्मी खोता है।
सवाल : हाइपोथर्मिया का खतरा किस उम्र में ज्यादा होता है?
जवाब : यह ज्यादातर 30 से 49 वर्ष के व्यक्तियों में देखी जाती है। पुरुषों में खतरा महिलाओं से 10 गुना अधिक होता है।
सवाल : हाइपोथर्मिया के लक्षण क्या होते हैं?
जवाब : शुरुआती लक्षणों में शरीर का कांपना सबसे आम संकेत है। यह बताता है कि शरीर गर्मी बनाए रखने की कोशिश कर रहा है लेकिन जब ठंड बहुत बढ़ जाती है, तो यह कांपना रुक सकता है, जो कि खतरे का संकेत है। व्यक्ति को ज्यादा थकान, कमजोरी, नींद, उलझन होती है, बॉडी रिस्पांस धीमे होने लगते हैं। गंभीर मामलों में बेहोशी, दिल की धड़कन धीमी पड़ना और अंगों का काम करना भी बंद हो सकता है।
सवाल : किनको खतरा ज्यादा रहता है?
जवाब : सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों, नवजात बच्चों और उन लोगों को होता है, जिनके पास पर्याप्त गर्म कपड़े या हीटिंग की सुविधा नहीं होती। मानसिक रोगियों या बाहर लंबे समय तक काम करने वाले लोगों में भी इसका जोखिम अधिक होता है।



























