ब्लिट्ज ब्यूरो
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के ताबूत में आईटीबीपी ने आखिरी कील ठोंकने का काम किया है। आईटीबीपी ने अबूझमाड़ में अपना अहम बेस बनाकर छत्तीसगढ़ के घने और मुश्किल पहुंच वाले इलाके में एक साल का रणनीतिक विस्तार पूरा कर लिया है। इससे नक्सलियों का आखिरी बड़ा इंटर स्टेट मूवमेंट कॉरिडोर सील हो गया है। वहीं दंतेवाड़ा में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है। दंतेवाड़ा जिले में 37 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है। इनमें से 27 पर 65 लाख रुपये का इनाम था।
सरेंडर करने वालों में 12 महिलाएं
सरेंडर करने वाले नक्सलियों में 12 महिलाएं भी हैं। ये नक्सली कई मुठभेड़ों में शामिल रहे हैं। कुछ नक्सली मार्च, 2020 में ग्राम मिनपा के जंगलों में हुई उस मुठभेड़ में शामिल थे जिसमें 26 जवानों की शहादत हुई थी जबकि 20 जवान घायल हुए थे। इन नक्सलियों की मार्च 2020 की नक्सल हिंसा में भी सक्रिय भूमिका बताई जाती है। सरेंडर करने वाले कुछ नक्सली साल 2024 ग्राम थूलथूली की मुठभेड़ों में भी शामिल रहे हैं।
20 महीनों में 508 से अधिक ने डाले हथियार
दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) गौरव राय ने बताया कि नक्सलियों ने पूना मारगेम (पुनर्वास नीति) पहल के तहत पुलिस और सीआरपीएफ के अधिकारियों के सामने सरेंडर किया। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को 50 हजार रुपये की तात्कालिक मदद दी जाएगी। इनको रोजगार के लिए ट्रेनिंग, खेती की जमीन समेत अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। दंतेवाड़ा जिले में बीते 20 महीनों में 508 से अधिक नक्सलियों ने हथियार डाले हैं। इनमें से 165 पर इनाम घोषित था।
आईटीबीपी की नई कामयाबी
इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस ने 28 नवंबर को छत्तीसगढ़ के घने और मुश्किल पहुंच वाले अबूझमाड़ इलाके में लंका कंपनी ऑपरेटिंग बेस की स्थापना की।































