ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा के आरोपितों की जमानत खारिज किए जाने के बाद उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। वहीं हिंसा पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने की आस जगी है।
दो मई, 2021 को चुनावी नतीजे आने के बाद प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक हिंसा हुई थी। विशेषकर भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों को निशाना बनाया गया था। हिंसा का आरोप सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं व समर्थकों पर लगे थे। हिंसा में कई लोगों की जानें गई थी। बड़ी संख्या में महिलाओं पर भी अत्याचार हुआ था। विभिन्न जिलों में घरों पर हमले व आगजनी की गई थी।
हिंसा के डर से उस वक्त सैकड़ों भाजपा समर्थकों ने राज्य छोड़कर असम व अन्य जगहों पर शरण तक ली थी। बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद वह अपने घर लौट पाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा के आरोपितों की जमानत रद करते हुए स्पष्ट कहा, बंगाल में चुनाव बाद हिंसा लोकतंत्र पर हमला है। कोर्ट ने कहा कि भाजपा का समर्थन करने के कारण हमला किया गया। इसका एकमात्र उद्देश्य बदला लेना था। कोर्ट के फैसले से हिंसा पीड़ित परिवार खुश है। जिन आरोपितों की जमानत रद की गई है उनमें शेख जमीर, शेख नुराई, शेख अशरफ शामिल हैं।