ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की ओर से जवाबी कार्रवाई की संभावना को देखते हुए भारत ने जमीन, हवा और समुद्र में अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया है। मल्टीलेवल एयर डिफेंस नेटवर्क पूरी तरह सक्रिय है। अरब सागर में कई अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत तैनात हैं। इसके साथ ही सीमा पर पैदल सेना की टुकड़ियां किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह मुस्तैद हैं।
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों द्वारा की जा रही हवाई गश्त के बीच, देश के परमाणु शस्त्रागार को संभालने वाली तीनों सेनाओं की सामरिक बल कमान को भी अत्यधिक एहतियात के तौर पर हाई अलर्ट पर रखा है।
एस-400 से नहीं बच पाएंगे पाकिस्तानी विमान, ड्रोन
सशस्त्र बलों ने 2019 में बालाकोट के बाद से कई नई हथियार प्रणालियों को शामिल किया है। उदाहरण के लिए, रूसी मूल की एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, जो 380 किलोमीटर की दूरी पर शत्रुतापूर्ण रणनीतिक बमवर्षकों, लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और ड्रोनों का पता लगा सकती है और उन्हें नष्ट कर सकती है, अब भारतीय वायुसेना की एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) का हिस्सा है।
पुरानी इग्ला-1एम वायु रक्षा प्रणालियां और कंधे से दागी जाने वाली नई इग्ला-एस मिसाइलें हैं, जिनकी मारक क्षमता 6 किमी तक है, भी हमारे पास है। इनके बीच में इजरायली मूल की बराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (70 किमी रेंज), स्वदेशी आकाश वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली (25 किमी) और इजरायली निम्न-स्तरीय स्पाइडर त्वरित प्रतिक्रिया विमान भेदी मिसाइलें (15 किमी) हम रखते हैं।
आईएसीसीएस नेटवर्क
कई सिस्टम पूरी तरह से स्वचालित आईएसीसीएस नेटवर्क से जुड़े हैं। आईएसीसीएस को पिछले कुछ वर्षों में सैन्य रडार की विस्तृत श्रृंखला को नागरिक रडार के साथ एकीकृत करने के लिए उतरोत्तर विस्तारित किया गया है।
ग्राउंड-आधारित रडार के अलावा, मौजूदा नेत्रा और फाल्कन एयरबोर्न अर्ली-वार्निंग एंड कंट्रोल विमान भी इस नेटवर्क का हिस्सा हैं।