ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ( यूपी रेरा) ने आवंटियों को न्याय दिलाने की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रेरा ने अब तक 5700 वसूली प्रमाण-पत्रों (आरसी) के खिलाफ 1410 करोड़ रुपये की प्रभावी वसूली की है। अकेले 1 जनवरी 2025 से 15 जुलाई 2025 की अवधि में 955 मामलों में 251 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। इस संबंध में रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि अगस्त 2023 से वसूली की रफ्तार में कई गुना तेजी आई है। इस दौरान 3053 मामलों में 861 करोड़ रुपये वसूले गए, जो अब तक की कुल वसूली का 61 प्रतिशत है।
रेरा की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक साल 2023 में 380 करोड़ रुपये, 2024 में 463 करोड़ रुपये और 2025 में अब तक 251 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है। जबकि साल 2024 की इसी अवधि में 244 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी, जिससे स्पष्ट है कि वसूली की रफ्तार लगातार तेज हो रही है।
500 करोड़ रुपये का समाधान
कंसिलिएशन फोरम और निष्पादन कार्यवाहियों के माध्यम से 1650 वसूली प्रमाण-पत्रों के खिलाफ 500 करोड़ रुपये का समाधान कराया गया है। इसके अलावा 8500 अन्य मामलों में लगभग 3320 करोड़ रुपये के दावों का समाधान किया गया है, जिनमें रिफंड और मकान के कब्जे से जुड़े विवाद शामिल हैं।
आवंटी शिकायतकर्ताओं को मिली राहत
इस तरह रेरा ने अबतक 15,850 आवंटी शिकायतकर्ताओं के 5,180 करोड़ रुपये के दावों का समाधान विभिन्न माध्यमों से किया है। इनमें प्रत्यक्ष वसूली, आपसी समझौते, निष्पादन कार्यवाही और मध्यस्थता शामिल है। यूपी रेरा की वसूली रणनीति को भारत सरकार स्तर पर भी सराहना मिली है। रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि मासिक समीक्षा, प्रमोटरों पर सख्ती और परियोजनाओं के पंजीकरण या विस्तार में आवंटियों की संतुष्टि को अनिवार्य शर्त बनाकर वसूली प्रक्रिया को मजबूती दी गई है।































