ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। आयुर्वेद मानता है कि मधुमेह (डायबिटीज) केवल शुगर की बीमारी नहीं, बल्कि कमजोर अग्नि (डाइजेस्टिव फायर) और बिगड़े हुए मेटाबॉलिज्म का परिणाम है। ऐसे में दालचीनी जैसी उष्ण और दीपनीय जड़ी-बूटी शरीर की अंदरूनी प्रणाली को संतुलन में लाने में मदद करती है।
रसोई में इस्तेमाल होने वाली दालचीनी सिर्फ स्वाद बढ़ाने वाला मसाला नहीं है, बल्कि आयुर्वेद में इसे एक शक्तिशाली औषधि माना गया है। दालचीनी मेटाबॉलिज्म को मजबूत करने, पाचन सुधारने और ब्लड शुगर को संतुलित रखने में सहायक होती है।
हालांकि, सभी प्रकार की दालचीनी एक जैसी नहीं होती। खास तौर पर सीलोन दालचीनी के उपयोग की सलाह दी जाती है क्योंकि यह हल्की, मीठी, सुरक्षित और रोजाना सेवन के लिए बेहतर मानी जाती है। नियमित रूप से थोड़ी-सी मात्रा में इसका सेवन डायबिटीज मैनेजमेंट में प्राकृतिक सहयोग दे सकता है।
डायबिटीज में दालचीनी के
आयुर्वेदिक फायदे
ब्लड शुगर बैलेंस करने में सहायक ः दालचीनी इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाती है जिससे शरीर शुगर को अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर पाता है।
मेटाबॉलिज्म को मजबूत करती है: आयुर्वेद के अनुसार दालचीनी दीपन-पाचन गुणों से युक्त है, जो कमजोर अग्नि को सक्रिय करती है।
कफ और आम दोष को कम करती है: डायबिटीज में कफ और एमा (टॉक्सिन) का बढ़ना आम है। दालचीनी इन्हें संतुलित करने में मदद करती है।
वजन नियंत्रण में सहायकः नियमित सेवन से अनावश्यक फैट जमा होने की प्रक्रिया धीमी होती है जो डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारी है।
सेवन का सही तरीका
सुबह खाली पेट दालचीनी की हल्की चाय ले सकते हैं।
फलों पर एक चुटकी दालचीनी पाउडर डालकर खा सकते हैं।
गुनगुने पानी या हर्बल ड्रिंक में मिलाकर पिएं।
सीलोन बनाम कैसिया दालचीनी
सीलोन दालचीनी में कूमारिन कम होता है, इसलिए यह दैनिक और लंबे समय तक सेवन के लिए सुरक्षित मानी जाती है, जबकि कैसिया दालचीनी की अधिक मात्रा नुकसानदायक हो सकती है।































