ब्लिट्ज ब्यूरो
भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर में अटल बांध इलाके में रहने वाली दीपेश कुमारी एक स्टार हैं और उनसे भी बड़े सितारे हैं उनके पिता गोविंद कुमार जिन्होंने 25 साल तक पकौड़े-नमकीन जैसे स्नैक्स बेचकर 7 लोगों के परिवार का पालन पोषण किया और अपने पांचों बच्चों को शानदार शिक्षा के दम पर उनके पैरों पर खड़ा किया। उनकी एक बेटी दीपेश कुमारी ने न सिर्फ आईआईटी से पोस्ट ग्रेजुएशन करके शानदार क्वालिफिकेशन हासिल की बल्कि यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम में टॉपर वाली रैंक हासिल करके अधिकारी भी बनीं।
छोटे से कमरे में रहने वाला 7 लोगों का परिवार
भले ही दीपेश अपने 7 लोगों के परिवार के साथ एक छोटे से कमरे में रहती थीं, भले ही पर्याप्त सुख सुविधाएं नहीं थीं लेकिन उन्होंने इन मुश्किलों के आगे बड़े सपने देखने में कोई कसर नहीं छोड़ी और इसी का नतीजा हुआ कि वह एक आईएएस अफसर बनने तक के सफर को पूरा कर सकीं।
स्कूल से आईआईटी तक का सफर, फिर यूपीएससी के लिए सब छोड़ा
दीपेश कुमारी अपने 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं और बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं। उन्होंने शिशु आदर्श विद्या मंदिर में पढ़ाई की। 10वीं में उन्होंने 98 प्रतिशत और 12वीं में 89 प्रतिशत अंक हासिल किए।
इसके बाद उन्होंने एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। फिर आईआईटी बॉम्बे से एमटेक किया। एक साल तक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने के बाद, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी।
दीपेश को 2020 में अपने पहले यूपीएससी प्रयास में सफलता नहीं मिली लेकिन उन्होंने और भी मेहनत से तैयारी की। अपनी नौकरी से बचाए हुए पैसों से दिल्ली में यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी की। उनकी मेहनत रंग लाई।
2021 में ईडब्ल्यूएस ऑल इंडिया चौथी रैंक
साल 2021 में अपनी दूसरी कोशिश में उन्होंने ऑल इंडिया 93वीं रैंक हासिल की। उन्हें आईएएस अफसर के तौर पर चुना गया। उन्होंने ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में भी चौथी रैंक भी हासिल की, यानी एक तरह से वह एक टॉपर कैंडिडेट बनकर उभरीं और आईएएस बनने का सपना साकार किया।
भाई-बहनों ने भी देखे बड़े सपने
आईएएस की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद दीपेश कुमारी को झारखंड कैडर मिला। वह अपने छोटे भाई-बहनों के लिए एक मिसाल बन गईं, जिन्होंने खुद भी बड़े सपने देखे। दीपेश की छोटी बहन डॉक्टर बनीं, जो सफरदरजंग अस्पताल में सेवारत हैं। दो भाई लातूर में और दूसरा एम्स गुवाहाटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। अगर मन में ठान लो तो कोई भी मुश्किल आसान हो जाती है।