गुलशन वर्मा
नई दिल्ली। अमेरिका के चुनाव परिणाम अनेक संकेत साथ लेकर आए हैं जो विश्व अनेक बड़े रणनीतिक बदलावों को कारण बन सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी चमत्कारी रणनीतिक एवं नेतृत्व क्षमता से साबित कर दिखाया कि वह क्यों ‘ट्रंप कार्ड’ माने जाते हैं। उनके ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ मिशन का चुनाव पर असर दिखा, कई मुद्दे टर्निंग पॉइंट बने और अंतत: डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पार्टी की एेतिहासिक जीत का अाधार साबित हुए। जीत के तत्काल बाद ट्रंप का कहना था कि मैं भारत को मानता हूं सच्चा दोस्त। विश्लेषकों में चर्चा इस बात की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की कैमिस्ट्री अनेक वैश्विक मंचों, पहलुओं और मुद्दों पर प्रतिबिंबित हो सकती है। अमेरिका के इतिहास में रिपब्लिकन पार्टी की यह सबसे बड़ी जीत है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ट्रंप ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन्होंने 4 साल के अंतराल पर दोबारा जीत हासिल की है।
अमेरिका में भी भारत की तरह दो सदन होते हैं। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव भारत की लोकसभा की तरह होता है। इसके लिए हर दो साल में चुनाव होता है। इस सदन में कुल 435 सदस्य होते हैं।
सीनेट भारत की राज्यसभा की तरह होती है। इसमें हर अमेरिकी राज्य से 2-2 सीनेटर चुनकर आते हैं। ऐसे में कुल मिलाकर अमेरिकी सीनेट में 100 सदस्य होते हैं। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है। हालांकि सभी सीटों के लिए एक साथ चुनाव नहीं होते। हर दो साल में कुछ सीटों पर चुनाव कराए जाते हैं।
बड़ी जीत के पीछे कई बड़े कारण
– 13 जुलाई 2024 को पेन्सिलवेनिया के बटलर शहर में डोनाल्ड ट्रंप की रैली हुई। ट्रंप स्टेज पर अपना भाषण दे रहे थे, तभी गोली चलने की आवाज आई। यह गोली ट्रंप पर चलाई गई थी। राइफल से चलाई गई गोली से ट्रंप बच तो गए, लेकिन उनके कान में चोट लग गई।
– ट्रम्प ने उस समय खुद भी यह बात मानी थी कि मौत और उनके बीच मिली सेकेंड्स का अंतर था। अगर वो भाषण देते हुए 0.05 सेकेंड के अंतर से सिर न घुमाते, तो गोली सिर में लग जाती।
गोली लगने के बाद भी ट्रंप ने चुनावी रैलियां कीं
– अमेरिकी जनता को ट्रंप का यह अंदाज बहुत पसंद आया। पॉलिटिकल प्रेडिक्शन प्लेटफॉर्म पॉलीमार्केट के मुताबिक ट्रम्प को गोली लगने के बाद उनकी विनेबिलिटी में 8% का उछाल आया था और वो 70% के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था।
– अमेरिका में ऐसे हादसों से इमोशनल बेनिफिट्स मिलना कोई बड़ी बात नहीं। 43 साल पहले रिपब्लिकन पार्टी के नेता रोनाल्ड रीगन पर भी गोली चली थी। हमले में रीगन बुरी तरह घायल हो गए थे। हालांकि उनकी जान बच गई थी। घटना के 3 साल बाद अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव हुए, जिसमें रीगन की रिपब्लिकन पार्टी ने दोबारा रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी।
स्विंग स्टेट्स पर ट्रंप के फोकस ने दिलाई बड़ी जीत
राष्ट्रपति बनने के लिए 270 सीटों पर जीत जरूरी होती है। अमेरिका के 7 स्विंग स्टेट्स का रुख जिधर होता है, वही राष्ट्रपति बनता है। 2024 के चुनाव में स्विंग स्टेट्स ने डोनाल्ड ट्रंप का साथ दिया।
स्विंग स्टेट्स में कुल 93 सीटें हैं। इसमें सबसे ज्यादा पेन्सिलवेनिया में 19 इलेक्टोरल सीटें हैं। ट्रंप ने इस स्टेट में कमला हैरिस को 3% वोट से मात दी। ट्रम्प को 51% वोट और कमला को 48% वोट मिले। स्विंग स्टेट में पेन्सिलवेनिया को किंग मेकर स्टेट माना जाता है। पेन्सिलवेनिया को जीते बिना व्हाइट हाउस तक नहीं पहुंचा जा सकता।
पेन्सिलवेनिया में 1992 से 2020 तक सिर्फ 1 बार रिपब्लिकन पार्टी को जीत मिली है। 2016 में ट्रंप ने 0.7% वोट से हिलेरी क्लिंटन को मात दी थी। 2020 के चुनाव में यहां बाइडेन ने ट्रंप को महज 1.2% के अंतर से हराया था।
मस्क का योगदान
एलन मस्क ने राष्ट्रपति चुनाव में खुलकर डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया। मस्क ने ट्रंप का समर्थन करते हुए वोटर्स को 1 मिलियन डॉलर यानी लगभग 8.40 करोड़ रुपए देने का एलान किया था। वे चुनाव की तारीख यानी 6 नवंबर तक हर रोज चुने गए किसी एक वोटर को 1 मिलियन डॉलर बांटते रहे। ये स्कीम सिर्फ 7 स्विंग स्टेट्स के लिए शुरू की गई थी।
वोटर्स से फ्रीडम ऑफ स्पीच और हथियार रखने वाली ऑनलाइन याचिका पर दस्तखत करवाए गए और समर्थन करवाया गया। पेन्सिलवेनिया में याचिका पर दस्तखत करने वाले हर रजिस्टर्ड वोटर को 100 डॉलर (8,400 रुपए) का मुआवजा दिया गया। बाकी 6 स्विंग स्टेट्स में याचिका पर दस्तखत करने वाले हर रजिस्टर्ड वोटर को 47 डॉलर (3,951 रुपए) दिए गए।
गोरे-काले का भेदभाव छोड़ा, मुसलमानों को भी साथ लाए
अमेरिका की अश्वेत आबादी ज्यादातर डेमोक्रेटिक पार्टी को सपोर्ट करती रही है। डोनाल्ड ट्रंप की छवि भी अश्वेतों के विरोधी की रही है। 2018 में राष्ट्रपति पद की पूर्व उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने डोनाल्ड ट्रंप को रेसिस्ट (नस्लभेदी) तक कहा था, लेकिन अब ये ट्रेंड बदला है। ट्रंप को इस बार पॉपुलर वोट्स ज्यादा मिले।
2016 में जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, तब उन्हें अश्वेतों के 8% वोट ही मिले थे। इस बार के एग्जिट पोल्स में ट्रम्प को 12% ब्लैक वोट मिलने का दावा किया गया था। दरअसल, इस चुनाव में ट्रंप की ब्लैक विरोधी छवि बदली है। इस बार ट्रम्प ने अमेरिका के मुसलमानों के वोट अपनी तरफ करने की भी खूब कोशिश की। सितंबर में ट्रंप मिशिगन गए थे। उन्होंने यहां के मुस्लिम मेयर आमेर गालिब और दूसरे नेताओं से मुलाकात की।
2020 और 2016 के चुनावों में मुसलमानों का पूरा सहयोग डेमोक्रेटिक पार्टी को मिला था, लेकिन जो बाइडेन के मिडिल ईस्ट के युद्ध में इजराइल का सहयोग करने से मुस्लिम आबादी में नाराजगी है। उन्हें इन चुनावों में ट्रंप ज्यादा बेहतर विकल्प दिखाई दिए जो युद्ध का समाधान निकालने की बात करते नजर आते रहे।
ट्रंप की जीत की एक वजह बाइडेन की गलत नीतियां भी हैं
प्री-पोल डेटा एनालिसिस के मुताबिक, जब लोगों से पूछा गया कि देश जिस दिशा में जा रहा है, उससे आप संतुष्ट हैं या नहीं? इस पर 74% लोगों का कहना था कि वो संतुष्ट नहीं हैं। लोगों को लग रहा है कि देश गलत दिशा में जा रहा है।
इसका नुकसान डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को हुआ। कमला के सामने एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर्स चुनौती बन गया। कमला अमेरिका की उपराष्ट्रपति थीं, ऐसे में उन्हें एंटी इनकम्बेंसी का खामियाजा भुगतना पड़ा। इसमें मिडिल ईस्ट युद्ध में इजराइल का साथ देना भी शामिल है।
चुनावी वादों ने वोटर्स को लुभाया
– अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के वादों ने बड़ा असर डाला है। ट्रंप ने कहा था कि अपने शपथ ग्रहण से पहले वे रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध समाप्त करवा देंगे।
– उन्होंने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात कर युद्ध जल्दी खत्म करने का भी दावा किया।
– ट्रम्प ने अमेरिका में गैरकानूनी तरीके से आए लोगों को देश से निकालने का भी वादा किया। इसके लिए जरूरी हर शक्ति का प्रयोग करने की बात कही।
– ट्रंप ने टिप्स पर लगने वाले टैक्स को भी हटाने की बात कही। इसके लिए एक लेजिस्लेशन पास करना होगा।
– •ट्रंप ने सोशल सिक्योरिटी से होने वाली इनकम पर लगने वाले टैक्स को भी रोकने का वादा किया था।
– रेसिज्म से संबंधित क्रिटिकल रेस थ्योरी और ट्रांसजेंडर जैसे मुद्दों पर शिक्षा देने वाले स्कूलों की फेडरल फंडिंग बंद करने का वादा किया था।
असंभव को संभव कर दिखाया
चुनाव जीतने के बाद फ्लोरिडा के वेस्ट पाम बीच पर ट्रंप ने पहला भाषण दिया। इसमें उन्होंने कहा, हमने वो कर दिखाया जो लोगों को असंभव लग रहा था। अलास्का, नेवादा और एरिजोना में जीत हासिल करना मेरे लिए बड़ी बात है। यह अविश्वसनीय है। मैं अमेरिकी लोगों के परिवार और उनके भविष्य के लिए लड़ूंगा। अगले 4 साल अमेरिका के लिए अहम हैं। यह अमेरिका के इतिहास की सबसे शानदार जीत है।
पूरी दुनिया मोदी को प्यार करती है, बोले ट्रंप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत की और उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर फिर से बधाई दी। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं ने वैश्विक शांति के लिए साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। बातचीत के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूरी दुनिया उन्हें प्यार करती है। उन्होंने भारत को एक महान देश और पीएम मोदी को एक महान नेता बताया। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को एक सच्चा मित्र माना और कहा कि पीएम मोदी उनके चुनावी जीत के बाद सबसे पहले संपर्क करने वाले विश्व नेताओं में से एक हैं। पीएम मोदी ने कहा, मेरे मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सार्थक बातचीत हुई, उनकी शानदार जीत पर उन्हें बधाई दी। प्रौद्योगिकी, रक्षा और अन्य क्षेत्रों में भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए एक बार फिर राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्सुक हूं।
डोनाल्ड ट्रंप अगले साल आएंगे भारत
डोनाल्ड ट्रंप अगले साल बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति भारत की यात्रा करेंगे। दरअसल भारत में साल 2025 में क्वाड लीडर्स समिट होना है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए ट्रंप भारत आएंगे। इस सम्मेलन से इतर सदस्य देशों (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) के प्रमुखों की मुलाकात का रिवाज रहा है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि पीएम मोदी से उनकी खास मुलाकात होगी।
ट्रंप की सुनामी से टेंशन में ड्रैगन
डोनाल्ड ट्रंप ने जीत के बाद दिए अपने पहले भाषण में साफ तौर ऐलान किया है कि अब कोई युद्ध नहीं होगा। ट्रंप ने कहा, ‘मैं कोई भी युद्ध शुरू नहीं करने जा रहा हूं। मैं युद्धों को रोकने जा रहा हूं। जब मैं राष्ट्रपति था तो 4 साल तक कोई युद्ध नहीं हुआ था। हमने केवल आईएसआईएस को हराया था।’ उन्होंने यह भी एलान किया कि अमेरिकी सेना को मजबूत किया जाएगा। साल 2016 से 2020 तक अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने तो उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से मुलाकात की थी। किम जोंग उन अब अक्सर अमेरिका को धमकाते रहते हैं। ट्रंप के इस एलान से चीन और यूक्रेन दोनों ही टेंशन में हैं। वहीं इजरायल को उम्मीद है कि बंधक वापस आएंगे। ताइवान और अमेरिका के बीच रक्षा संधि है। चीन अगर कोई दुस्साहस करता है तो ट्रंप को ताइवान को बचाने के लिए सेना भेजनी होगी। ट्रंप के रुख से साफ है कि वह ऐसे किसी आक्रामक सैन्य हमले का करारा जवाब देंगे। ऐसे में चीन की टेंशन बढ़ सकती है। ट्रंप चीन के खिलाफ ट्रेड वार को तेज कर सकते हैं। जो ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा देते हैं।
एक तस्वीर ने बदली तकदीर
एक तस्वीर ने अमेरिकी चुनाव के रुख को ही बदल दिया। यह तस्वीर थी, 13 जुलाई 2024 की पेंसिलवेनिया के बटलर पार्क की। इस जगह पर ट्रंप पर जानलेवा हमला हुआ। गनीमत रही कि ट्रंप बच गए और इसके बाद उन्होंने जोरदार वापसी की। खून लगे मुंह के साथ मुठ्ठी भींचकर खड़े होने की उनकी तस्वीर ने पूरी दुनिया को सन्न कर दिया था। ट्रंप ने कहा कि शायद भगवान ने मुझे ये जीत देखने के लिए जिंदा रखा।
अपने परिवार पर भरोसा किया ट्रंप ने
अपने पहले विजयी भाषण में ट्रंप ने पत्नी मेलानिया ट्रंप समेत परिवार के तमाम सदस्यों का आभार जताया। ट्रंप ने कमला हैरिस के खिलाफ अभियान को गति देने के लिए अपने परिवार पर भरोसा किया। चुनाव के दौरान परिवार के सदस्य कई बार ट्रंप से साथ रहे। डोनाल्ड ट्रंप के पहले राष्ट्रपति चुनाव अभियान और उसके बाद व्हाइट हाउस के कार्यकाल के दौरान भी सलाहकार के रूप में ट्रंप के बच्चों ने बहुत प्रभाव डाला।