ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया है, जिसमें गुरुग्राम की डीएलएफ सिटी में अवैध और अनधिकृत निर्माणों को हटाने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस विजय बिष्णोई की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह आदेश उन मकान मालिकों को सुने बिना पारित किया, जिन्हें मुकदमे में पक्षकार भी नहीं बनाया गया था। अदालत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को सुने बिना उसके खिलाफ आदेश देना न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘न्याय का निष्पक्ष प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है। किसी पक्ष को सुने बिना उसके अधिकारों पर फैसला नहीं दिया जा सकता।’ हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक इस्तेमाल या नियमों के विरुद्ध निर्माण किया गया है, तो ऐसे अवैध निर्माणों को किसी भी तरह से संरक्षण नहीं दिया जा सकता। अदालत ने आगे कहा कि जो भी व्यक्ति इस आदेश से प्रभावित है, वह निर्धारित समय के भीतर हाईकोर्ट में आवेदन कर सकता है ताकि उसे मामले में पक्षकार के रूप में शामिल किया जा सके।





























