मनोज जैन
नई दिल्ली। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) ने वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म-2 (आईटीआर-2) को जारी कर दिया है। आईटीआर-2 ज्यादातर टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी है, खासकर सैलरी पाने वाले कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए। यह फॉर्म 1 अप्रैल, 2025 से लागू हो गया है, यानी इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही।
खास बात यह है कि जिन लोगों को सैलरी या पेंशन से इनकम होती है या जिनकी एक से ज्यादा प्रॉपर्टी से इनकम होती है, वे आईटीआर-2 का इस्तेमाल करके अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। यह भी जरूरी है कि प्रॉपर्टी या दूसरे निवेशों को बेचने पर होने वाले कैपिटल गेन या नुकसान, चाहे वे लॉन्ग-टर्म हों या शॉर्ट-टर्म, को भी इस आईटीआर में बताना होगा।
सैलरी वालों को भी जरूरी
आईटी-2 उन सैलरी पाने वाले टैक्सपेयर्स के लिए है जो इक्विटी शेयर और म्यूचुअल फंड में भी निवेश करते हैं। सैलरी पाने वाले लोगों को आईटीआर-1 की जगह आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होता है, अगर उनके पास एक से ज्यादा घर हैं, अगर उनकी कोई संपत्ति भारत से बाहर है, या अगर उनकी कुल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है।
इस बार हुए ये बदलाव
पहले एसेट और लायबिलिटी के बारे में जानकारी तभी देनी होती थी जब किसी व्यक्ति की कुल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा होती थी। लेकिन, नए आईटीआर-2 में यह नियम तभी लागू होगा जब कुल इनकम 1 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी।
इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जिनकी सालाना इनकम 50 लाख से 1 करोड़ के बीच है, क्योंकि उन्हें अपनी संपत्ति और देनदारियों का हिसाब नहीं देना होगा।
टीडीएस के बारे में जानकारी
पहले सिर्फ टीडीएस काटने वाली कंपनी और काटी गई रकम की जानकारी देनी होती थी लेकिन, अब यह बदल गया है। अब यह बताना जरूरी होगा कि टीडीएस किस सेक्शन के तहत काटा गया है, जैसे कि 194सी, 194जे या कोई और सेक्शन।
इसके अलावा कैपिटल गेन शेड्यूल में भी दो बड़े बदलाव किए गए हैं। कैपिटल गेन से जुड़े लेनदेन की जानकारी शेड्यूल सीजी में भरी जाती है, जो आईटीआर -2 फॉर्म के पार्ट ए में होता है। अब टैक्सपेयर्स को यह बताना होगा कि संपत्ति का ट्रांसफर, जिससे लॉन्ग-टर्म या शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन या नुकसान हुआ, 23 जुलाई, 2024 से पहले हुआ था या बाद में।
विदेशी संपत्ति की भी जानकारी
नए आईटीआर-2 में विदेशी संपत्ति के बारे में ज्यादा जानकारी देने की भी जरूरत है, जिसके लिए शेड्यूल एफए (विदेशी संपत्ति) और एफएसआई (विदेशी स्रोत से इनकम) भरने होंगे। इसके अलावा, शेड्यूल वीडीए में वर्चुअल डिजिटल एसेट के लेनदेन की जानकारी देनी होगी, जिस पर सेक्शन 115बीबीएच के तहत 30% टैक्स लगता है। कुछ खास हाई-वैल्यू लेनदेन के लिए लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर का खुलासा भी जरूरी है।