ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। जब वो छोटी थी, तो पांच किलोमीटर साइकिल चलाकर अपने स्कूल जाती और इतनी ही दूरी तय कर घर लौटती। मां टीचर थीं, इसलिए स्कूल से लौटकर दो छोटे भाइयों को संभालने की जिम्मेदारी भी थी। शादी कम उम्र में हो गई और जल्दी ही वो दो बच्चों की मां बन गई। परिवार, पति और प्राइमरी टीचर की उसकी नौकरी… सबकुछ था, लेकिन कहीं न कहीं एक टीस थी। कुछ कर दिखाने की, कुछ बनने की, खुद को साबित करने की। और आखिरकार उसे मौका मिल गया, जब एक दिन उसके खुद के बेटे ने अखबार दिखाकर कहा, मम्मी देखो… आपका फोटो छपा है।
वो साधारण सी लड़की
आरती गुप्ता, रायबरेली के एक छोटे से कस्बे मुंशीगंज से आने वाली साधारण लड़की, जो आज उत्तर प्रदेश सरकार में पीसीएस अधिकारी हैं लेकिन, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए आरती को लंबा संघर्ष करना पड़ा। आरती ने बताया कि उनकी सारी पढ़ाई हिंदी मीडियम के सरकारी स्कूल से हुई। ये स्कूल भी उनके घर से लगभग पांच किलोमीटर दूर था, जहां वो हर दिन 10 किलोमीटर साइकिल चलाकर आती-जाती थीं।
कैसे शुरू हुआ आरती का सफर
आरती की मां शिक्षक थीं और परिवार में उनके दो छोटे भाई भी थे। ऐसे में स्कूल के बाद उन्हें अपने दोनों भाइयों का ध्यान रखना पड़ता। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने बीटीसी कोर्स में एडमिशन ले लिया। कोर्स के दौरान एक कार्यक्रम में आरती की मुलाकात उस समय की जिलाधिकारी अमृता सोनी से हुई। जिलाधिकारी के पद और उनके काम को देखकर आरती के मन में सपना जगा कि एक दिन वो भी अफसर बनेंगी।
वक्त का पहिया चलता गया
वक्त आगे बढ़ता रहा और कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई। तब तक उनकी नौकरी प्राइमरी टीचर के तौर पर लग चुकी थी। कुछ समय बाद आरती ने दो बच्चों को जन्म दिया और जीवन की गाड़ी आगे बढ़ने लगी। एक दिन वो अपना फेसबकु अकाउंट देख रही थी, तभी उनकी नजर फ्रेंडलिस्ट में अपनी एक बचपन की सहेली के प्रोफाइल पर गई। उसके नाम के आगे लिखा था- साइंटिस्ट, जर्मनी।
तुम्हारी औकात क्या है…
अपनी सहेली के उस प्रोफाइल को देखकर आरती के सामने पिछली सारी जिंदगी किताब की तरह खुल गई। वो सपना याद आया, जो उन्होंने जिलाधिकारी से मिलने के बाद देखा था। बस उन्होंने तय कर लिया कि अब चाहे जो हो जाए, वो कुछ करके दिखाएंगी। इसी दौरान उनके साथ एक घटना और घटी, जिसने आरती को पीसीएस अधिकारी बनने के लिए प्रेरित किया। दरअसल, आरती जिस स्कूल में पढ़ाती थीं, वहां उनकी एक सह अध्यापक अक्सर उनके साथ अपमानजनक बर्ताव करतीं। एक दिन स्कूल में स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत रैली थी, जिसमें फोटो खिंचवाते वक्त उसने आरती को धक्क ा दे दिया और कहा- तुम्हारी औकात क्या है? ये वो मोड़ था, जब उन्होंने तय कर लिया कि अब जवाब कहकर नहीं, बल्कि करके देना है।