ब्लिट्ज ब्यूरो
किसी भी देश के विकास की पहचान उसकी उन्नत कृषि और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता से ही आंकी जाती है। इन दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होकर ही कोई भी देश वैश्विक स्तर पर अपने प्रभाव का विस्तार कर सकता है और मोदी सरकार यह लक्ष्य पाने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है।
भारत आज आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। रक्षा और कृषि क्षेत्र ही नहीं; बल्कि भारत आर्थिक क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है। अब वह विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह दूरदर्शी दर्शन अथवा विजन है जिसके साकार होने से भारत वैश्विक स्तर पर एक मजबूत और प्रभावशाली राष्ट्र के रूप में अवतरित होकर अपनी छवि को निखार सकेगा। इस अभियान को सफल बनाकर भारत अपनी बुलंदियों और उपलब्धियां को छूते हुए सदियों पुराने अपने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श को पुनर्स्थापित कर पूरे विश्व को प्रभावित कर सकेगा। इस अभियान के अंतर्गत देश की अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी, जनसंख्या तथा मांग की अवधारणा संबंधित पहल से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों सहित अन्य देसी उद्योगों का जीर्णोद्धार होगा और रोजगार के नए अवसरों के सृजन से बेरोजगारी से जूझते देश की युवा शक्ति को अपनी बुद्धि और कौशल को प्रदर्शित करने का एक अवसर भी मिलेगा। यदि इसके लक्ष्य सही दिशा में संचालित होते रहे और देश के लोग अपने संकल्प और प्रतिबद्धता से इस अभियान के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अपने उत्पादों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ता बनाकर एक ब्रांड के रूप में वैश्विक प्रतियोगिता में शामिल करेंगे तो निश्चित रूप से देश 2047 तक भारत आत्मनिर्भर बनकर विश्व के अन्य देशों की भी सहायता करने में सक्षम होगा।
आज जब देश को आत्मनिर्भर बनाने की पहल हो रही है, तब यह आवश्यक है कि कृषि के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता हासिल की जाए। वैश्विक स्तर पर बड़ी शक्ति बनने की आकांक्षा रखने वाले किसी भी देश के लिए अर्थव्यवस्था, कृषि और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने बिना यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। कोई भी देश वस्तुत: तभी महाशक्ति बनता है जब वह इन क्षेत्रों में अपनी जरूरत की पूर्ति अपने स्रोतों से ही करने लगता है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के बढ़ते कदम का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स के सदस्यों की संख्या आज देश में 500 से अधिक हो गई है और विगत कुछ वर्षों में भारत का रक्षा निर्यात भी उल्लेखनीय दृष्टि से बढ़ा है। रक्षा क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते शानदार कदमों की झलक अभी सारे विश्व ने पाकिस्तान में आतंकवादियों के सफाये के लिए चलाए गए ‘ऑपरेश्न सिंदूर’ अभियान में भी देखी। विश्व ने भी भारत के ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनाए गए हथियारों का सटीक निशाना देखा और उसका लोहा भी माना। अब भारत ने यह भी फैसला कर लिया है कि वह 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान भी देश में ही बनाएगा। उसके लिए जेट इंजन भी विकसित करने की तैयारी प्रारंभ हो गई है। आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा पीएम मोदी ने 12 मई 2020 को कोरोना संकट के दौरान की थी। आत्मनिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य देश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत कर भारत को आत्मनिर्भर बनाना और देश की विकास यात्रा को नई दिशा देना है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की गति इससे भी परखी जा सकती है कि मोदी सरकार में 2013-14 के मुकाबले 2024-25 में रक्षा निर्यात में 34 गुना वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग 80 देशों को गोला-बारूद, हथियार, सिस्टम/सब-सिस्टम और उनके पुर्जे जैसे विभिन्न रक्षा उत्पाद निर्यात किए हैं। सरकार ने अब 2029 तक सालाना 50,000 करोड़ रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है। आर्थिक सर्वेक्षण में भी बताया गया कि भारत हथियार आयातक से आगे बढ़कर शीर्ष 25 हथियार निर्यातक देशों की सूची में शामिल हो चुका है। भारत की 100 से अधिक कंपनियां ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका रॉकेट सिस्टम और डोर्नियर एयरक्राफ्ट जैसे रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रही हैं। 2015 से 2019 के बीच भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। देश में रक्षा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
दरअसल वैश्विक स्तर पर सशक्तिकरण के लिए किसी भी राष्ट्र के लिए रक्षा और कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की बड़ी भूमिका होती है। इन दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भर देश विश्व के अन्य राष्ट्रों को भी अपने प्रभाव क्षेत्र में लेने की क्षमता रखता है। ये दोनों क्षेत्र एक दूसरे से जुड़े होने के बावजूद एक दूसरे के पूरक भी हैं। सीमाओं पर सैनिकों के लिए अत्याधुनिक हथियारों का उतना ही महत्व है जितना महत्व कृषि के उत्पादन क्षेत्र में स्वावलंबन का है। आज का भारत स्वतंत्रता के बाद इन दोनों क्षेत्रों में दूसरे देशों पर निर्भर रहने वाला भारत नहीं रहा है। रक्षा और किसी क्षेत्र में हर रोज स्वावलंबी होते भारत का आज हर जगह जिक्र हो रहा है। रक्षा उत्पादन में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की बढ़ती सहभागिता से भी देश आज विश्व बाजार में निर्यात करने लायक उत्पादन करने में सक्षम हो चुका है। इसी तरह कृषि क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते कदम का जिक्र भी अब होने लगा है। कृषि क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर भारत आज गेहूं, धान, दलहन, गाय का दूध और कपास जैसे अनेक फसलों के शीर्ष उत्पादकों में शामिल हो गया है। इसके चलते भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में भी स्वावलंबी होकर विश्व के अनेक देशों की सहायता भी कर रहा है। किसी भी देश के विकास की पहचान उसकी उन्नत कृषि और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता से ही आंकी जाती है। इन दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होकर ही कोई भी देश वैश्विक स्तर पर अपने प्रभाव का विस्तार कर सकता है और मोदी सरकार यह लक्ष्य पाने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है।































