ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय स्टूडेंट्स-वर्कर्स को पोलैंड का वीजा हासिल करने में काफी मुश्किलें होती हैं। इसकी वजह ये है कि बिचौलियों का वीजा अप्वाइंटमेंट स्लॉट पर एकाधिकार है और वे स्लॉट्स को ऊंची कीमतों पर बेचते हैं। मगर जल्द ही ये परेशानी खत्म होने वाली है। पोलैंड का विदेश मंत्रालय एक नए आईटी सिस्टम की शुरुआत करने वाला है। इसका मकसद ये सुनिश्चित करना है कि सिर्फ असली आवेदक ही बिना किसी बिचौलिए के वीजा अप्वाइंटमेंट हासिल कर पाएं।
किस तरह काम करेगा नया सिस्टम
इस सिस्टम में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन और डिजिटल स्क्रीनिंग की मदद ली जाएगी। वीजा अप्वाइंटमेंट के लिए फिंगरप्रिंट या चेहरे की पहचान जैसे बायोमेट्रिक डाटा का इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार के इस कदम से अनधिकृत लोग कई सारे स्लॉट बुक नहीं कर पाएंगे। उनका स्लॉट बेचने का काम भी बंद हो जाएगा। जल्द ही भारतीय आवेदकों को वीजा अप्वाइंटमेंट का ऑनलाइन शेड्यूल बुक करते वक्त बायोमेट्रिक स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ सकता है। उन्हें फिंगरप्रिंट और चेहरे की पहचान जैसी जानकारी देने की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि, पोलैंड की तरफ से अभी तक ये नहीं बताया गया है कि सिस्टम को कब लॉन्च किया जाएगा। इस बात की पूरी उम्मीद है कि इस साल ही नए सिस्टम को लॉन्च कर दिया जाएगा।
शुरुआती पायलट फेज का परीक्षण भारत सहित उच्च-प्रवास क्षेत्रों में किया जाएगा और फिर इसे अन्य देशों पर भी लागू कर दिया जाएगा। पूरी तरह से लागू होने के बाद, सिस्टम पोलैंड के मौजूदा ई कांसुलेट प्लेटफॉर्म और नए कांसुलर ई-सर्विसेज प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत हो जाएगा। ई-सर्विसेज प्लेटफॉर्म पर अभी काम चल रहा है।





























